
सागर में वाहन का बीमा करने के बाद निरस्त करने के मामले में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग ने फैसला सुनाया है। आयोग ने बीमा कंपनी को प्रीमियम की राशि, सेवा में कमी और परिवाद व्यय के लिए राशि का भुगतान परिवादी को दो माह में करने का आदेश दिया है।
दरअसल, परिवादी अवधेश पिता राजेंद्र मिश्रा निवासी सूबेदार वार्ड सागर ने प्रबंधक आईसीआईसीआई लोम्बर्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी लि. शाखा कार्यालय सिविल लाइन सागर के खिलाफ जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग में परिवाद पेश की। परिवाद में बताया कि बीमा कंपनी से वाहन क्रमांक एमपी 15 जी 3416 की दिनांक 30 जून 2023 से 29 जून 2024 की अवधि के लिए प्रीमियम राशि 22,393 रुपए भुगतान कर पॉलिसी ली थी। बीमा पॉलिसी के आधार पर ही उक्त वाहन का मप्र परिवहन विभाग से फिटनेस व परमिट प्रमाण पत्र जारी हो जाता है। दिनांक 7 दिसंबर 2023 को आरटीओ सागर के यहां फिटनेस प्रमाण पत्र के लिए आवेदन पेश किया। जहां से पता चला कि उक्त वाहन का बीमा नहीं है।
जिस पर बीमा कंपनी को सूचना दी। कंपनी ने बताया कि बीमा पॉलिसी कम्प्यूटर सिस्टम पर लोड नहीं है। कई बार निवेदन करने के बाद भी पॉलिसी ऑनलाइन अपलोड नहीं की गई। 28 दिसंबर 2023 को बीमा कंपनी की ओर सूचित किया गया कि उसकी बीमा पॉलिसी निरस्त हो गई है। इसलिए वह पुन: बीमा पॉलिसी प्राप्त करें। तब न चाहते हुए परिवादी ने दोबारा प्रीमियम राशि 22393 रुपए का भुगतान कर 28 दिसंबर 2023 को बीमा पॉलिसी ली। बीमा कंपनी की लापरवाही से परेशान होकर आयोग में परिवाद पेश की गई।
6 प्रतिशत ब्याज दर से राशि लौटने का आदेश
परिवादी की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता पवन नन्होरिया ने बताया कि परिवाद पर जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग सागर के अध्यक्ष राजेश कुमार कोष्टा और सदस्य अनुभा वर्मा ने सुनवाई शुरू की। सुनवाई के दौरान मामले से जुड़े साक्ष्य पेश किए गए। वहीं बीमा कंपनी ने अपने पक्ष में तर्क देते हुए कहा कि प्रीमियम राशि प्राप्त नहीं होने पर पॉलिसी निरस्त की गई थी। तब कंपनी से कहा गया कि प्रीमियम राशि प्राप्त नहीं होने पर पॉलिसी कैसे जारी कर दी गई। जिसका जवाब नहीं दे पाए।
मामले में सुनवाई करते हुए आयोग ने बीमा कंपनी को बीमा पॉलिसी जारी करने के लिए प्राप्त की गई राशि 22393 रुपए प्रीमियम प्राप्त 30 जून 2023 से अदायगी दिनांक तक 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर सहित आदेश दिनांक से दो माह में भुगतान करने, सेवा में कमी के लिए 10 हजार रुपए और परिवाद व्यय के रूप में दो हजार रुपए परिवादी को भुगतान करने का आदेश दिया है।