
मध्यप्रदेश का पहला डिजिटल रिकॉर्ड रूम जबलपुर कलेक्ट्रेट में बनाया गया है। करीब डेढ़ करोड़ की लागत से 100 साल पुराने दस्तावेजों को स्कैन कर सहेज कर रखा गया है। गुरुवार की शाम को प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव हाईटेक डिजिटलाइजेशन रिकार्ड रूम का उद्घाटन करेंगे। इस मौके पर प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह, जबलपुर सांसद आशीष दुबे सहित विधायक और राजस्व के अधिकारी भी मौजूद रहेंगे। जबलपुर कलेक्टर कार्यालय में स्थित राजस्व अभिलेखागार को आधुनिकतम रूप में विकसित किया गया है, जिससे आवेदकों को राजस्व अभिलेखों की नकल प्राप्त करना अब आसान हो गया है। माना जा रहा है कि आज जबलपुर के रिकॉर्ड रूम के उद्घाटन के बाद मध्य प्रदेश के बाकी जिलों में भी इसी तरह रिकॉर्ड को संरक्षित करने का प्रयोग शुरू किया जा सकता है।
जबलपुर जिले का साल 1909-10 से आज तक का राजस्व रिकार्ड उपलब्ध है। बीते 116 साल के जबलपुर की जमीनों से जुड़े हुए कागजों की संख्या लगभग 48 लाख है। इनमें से 14 लाख कागजों को स्कैन करके डिजिटल फॉर्मेट में तैयार कर लिया गया है। पहले रिकार्ड तलाश करने में कर्मचारी लगा करते थे। अब एमपी का पहला राजस्व रिकार्ड रूम पूरी तरह से डिजिटल हो गया है। तहसील और नाम बताने पर एक क्लिक से राजस्व रिकॉर्ड की जानकारी निकल आएगी। राजस्व प्रकरणों एवं पुराने दस्तावेजों को व्यवस्थित तरीके से प्लास्टिक बैग में डालकर क्रमानुसार प्लास्टिक के बॉक्स में जमाया गया है। प्रत्येक प्लास्टिक बॉक्स की तहसील के हिसाब से कलर कोडिंग की गई। उन पर मौजा वार, वर्ष वार, मद वार केस के डिटेल स्टिकर प्रिंट कर चिपकाए गए हैं। रिकॉर्ड रूम और उसमे रखी रैक्स का रंग रोगन किया गया है। रिकॉर्ड रूम एयरकंडीशंड बनाया गया। हर रैक और उसकी शेल्फ को एक यूनीक नंबर दिया गया है।
रिकार्ड रूम की सारी जानकारी एक ऑनलाइन एप्लिकेशन तैयार कर उस पर अपलोड की गई है। आवेदक घर बैठे भी मोबाइल ऐप की सहायता से जानकारी प्राप्त कर सकता है। जबलपुर कलेक्टर दीपक कुमार सक्सेना ने रिकॉर्ड से संबंधित दस्तावेजों को तलाश करने का सरल तरीका ईजाद किया है। प्लास्टिक के डिब्बों में अब रिकॉर्ड कई वर्षों तक सुरक्षित रखा जा सकेगा। रिकार्ड रूम को बैंक के लॉकर की तरह बनाया गया है। किस तहसील और किस नाम का रिकॉर्ड कहां पर सुरक्षित रखा है, और कहां है, यह कम्प्यूटर से बहुत ही आसानी से पता चल जाएगा।
