
मध्यप्रदेश में सरकारी विभागों में आउटसोर्सिंग के जरिए कर्मचारियों की नियुक्ति को लेकर अजाक्स संघ ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है।
याचिका में कहा गया है कि सरकार के पास पहले से स्वीकृत पद और तय वेतनमान मौजूद हैं, इसके बावजूद कर्मचारियों को प्राइवेट एजेंसियों के जरिए ठेके पर रखकर नियुक्त करना असंवैधानिक है।
एजेंसी वाले कम वेतन देते हैं और कभी भी नौकरी से निकाल देते हैं। इन कर्मचारियों को कोई कानूनी सुरक्षा नहीं मिलती। ये प्रक्रिया ह्यूमन ट्रैफिकिंग जैसी है यानी इंसानों को खरीदने-बेचने जैसा व्यवहार हो रहा। है।
5 मई को होगी सुनवाई
वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ने बताया कि मध्यप्रदेश में वर्तमान में लाखों कर्मचारी आउटसोर्सिंग के जरिए काम कर रहे हैं। सरकार ने कर्मचारियों की भर्ती को भी एक वस्तु खरीद प्रक्रिया की तरह बना दिया है। इससे कर्मचारियों का शोषण हो रहा है और वे न तो कोर्ट जा सकते हैं, न ही अपने अधिकारों की मांग कर सकते हैं।
इस मामले पर 5 मई को कोर्ट में सुनवाई होगी।
2 साल पहले लागू हुआ था नियम
मध्यप्रदेश सरकार के वित्त विभाग ने 31 मार्च 2023 को अधिसूचना जारी कर यह नियम लागू किया। इसके अनुसार, राज्य के सभी विभाग विशिष्ट कार्यों हेतु चतुर्थ श्रेणी यानी ड्राइवर, चपरासी, सफाईकर्मी जैसे पदों पर जरूरत पड़ने पर प्राइवेट एजेंसियों से कर्मचारी लिए जा सकते हैं। कर्मचारियों को जरूरत पड़ने पर प्राइवेट एजेंसियों से आउटसोर्स कर सकते हैं।