
सागर में अपने बेटे और बहू से प्रताड़ित होकर मां ने कोर्ट की शरण ली है। उन्होंने संभाग आयुक्त कोर्ट में अपील लगाई। अपील पर सुनवाई करते हुए कमिश्नर कोर्ट ने एसडीएम सागर को निर्देश देते हुए कहा कि 15 दिन में मामले में नियमानुसार कार्रवाई करें।
अपीलकर्ता बैजंतीबाई पति हरिहरप्रसाद दुबे उम्र 75 साल निवासी शंकरगढ़ मकरोनिया के वकील पवन नन्होरिया ने बताया कि आवेदक बैजंतीबाई दुबे पति हरिहरप्रसाद दुबे उम्र 80 साल के साथ रजाखेड़ी में अपने मकान में रहती हैं। उनके तीन बेटे हैं। दो बेटे वर्षों से स्वयं के मकान में अलग रहते हैं। तीसरा बेटा अरुण दुबे और उनकी पत्नी ज्ञानेश्वरी दुबे मेरे मकान की तीसरी मंजिल पर रहते हैं। वह आए दिन वाद-विवाद करते हैं। जिसको लेकर पद्माकर नगर पुलिस चौकी और पुलिस अधीक्षक कार्यालय में शिकायत की। लेकिन कोई सुधार नहीं आया। उनके द्वारा आए दिन डरा-धमकाकर मानसिक, आर्थिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। मामले में परेशान होकर उन्होंने एसडीएम कोर्ट सागर में बेटे और बहू को संपत्ति से बेदखल करने के लिए आवेदन लगाया। लेकिन एसडीएम कोर्ट ने उक्त मामला क्षेत्राधिकार में नहीं आने का कहकर समाप्त कर दिया।
कोर्ट ने सुनवाई कर कार्रवाई के निर्देश दिए
जिसके बाद आवेदक ने कमिश्नर कोर्ट में अपील की। कमिश्नर कोर्ट ने अपील पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान कमिश्नर ने अपीलार्थी के बयान सुने। अधिवक्ता ने पक्ष रखा। जिसके बाद कोर्ट ने कहा कि जिस संपत्ति में पुत्र व पुत्रवधु रहते हैं, वह अपीलार्थीगण के स्वामित्व हक कब्जे की है। अपीलकर्ता वरिष्ठ नागरिक की श्रेणी में हैं। जिसके जीवन व संपत्ति के संरक्षण का अधिकार अधिनियम प्रदान करता है व बच्चे अपने माता-पिता की दया दृष्टि से रहते हैं न कि अधिकार से।
यदि माता-पिता बच्चों से ही परेशान व प्रताड़ित रहेंगे तो उन्हें अपने माता-पिता के द्वारा क्रयशुदा संपत्ति में अधिकार नहीं होगा। ऐसी स्थिति में उन्हें बेदखल किया जाकर, वृद्ध माता-पिता के जीवन व संपत्ति का संरक्षण किया जाना आवश्यक हो जाता है। कमिश्नर कोर्ट ने अपीलार्थीगण द्वारा प्रस्तुत अपील स्वीकार करते हुए अनुविभागीय अधिकारी सागर द्वारा पारित आदेश दिनांक 11 फरवरी 2025 निरस्त किया है। साथ ही एसडीएम सागर को निर्देशित किया है कि वह 15 दिन में नियमानुसार कार्रवाई करें।