
रीवा में 19 साल पहले बस हादसे में हुई 60 लोगों की मौत के मामले में शुक्रवार को जिला एवं सत्र न्यायालय में सुनवाई हुई। जहां अदालत ने बस के मालिक को सबूतों के आभाव में बरी कर दिया। पूरे मामले में पुलिस ने जिस व्यक्ति को 60 लोगों की मौत का जिम्मेदार ठहराया था। उसे जिला न्यायालय की अदालत ने साक्ष्यों के आभाव में दोषमुक्त करार दिया है।
भीषण सड़क दुर्घटना आज से 19 साल पहले 2006 में हुई थी। जहां रीवा के ऐतिहासिक गोविंदगढ़ तालाब में यात्रियों से भरी बस के गिरने से 60 यात्रियों की दर्दनाक मौत हो गई थी।
मामले की पैरवी कर रहे राजीव सिंह शेरा ने बताया कि 19 साल पहले यात्रियों से भरी बस सवारी लेकर जिगना से रीवा की तरफ आ रही थी। तभी चालक की लापरवाही से बस तालाब में जा समाई। अचानक हुए इस हादसे से 60 लोग डूब गए और डूबने से उनकी मौत हो गई। जिसकी जांच में पुलिस ने बिना परमिट,बिना बीमा पॉलिसी और बिना आरटीओ के बस को सड़क में दौड़ना बताया।
इस मामले में गोविंदगढ़ थाने में बस मालिक अजय प्रताप सिंह के खिलाफ मोटर व्हीकल एक्ट के तहत आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किया गया। लेकिन अभियोजन की तरफ से यह साबित नहीं किया जा सका कि बस का फिटनेस और परमिट था या नहीं। ऐसे में न्यायालय ने मालिक को बरी कर दिया।
अधिवक्ता राजीव सिंह शेरा ने बताया कि मामले में गोविंदगढ़ थाने में में 213/2006 के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया था। 279,337,336,30(A) आईपीसी के तहत मामला पंजीबद्ध किया गया था। चालक की भी दुर्घटना के दौरान मौत हो गई थी। जिसकी वजह से मामले में एक ही आरोपी अजय प्रताप सिंह को बनाया गया था।