
रीवा के ऐतिहासिक लक्ष्मण बाग मंदिर में भगवान बीमार हो गए है। यहां पर स्थापित भगवान जगन्नाथ स्वामी, बलभद्र और सुभद्रा ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा के साथ ही गर्भगृह से निकाले गए है। पुजारी ने मंदिर के पट बंद कर दिए हैं। अब वे 15 दिनों तक विश्राम करेंगे और इन्हें औषधि एवं सादा भोजन दिया जाएगा।
मान्यता है कि इस दिन भगवान को बुखार आने के साथ ही बीमार हो जाते हैं, और भगवान का परहेज भी शुरू हो जाता है। अब भगवान को दलिया खिचड़ी व मूंग की दाल सहित हल्के खाद्य पदार्थों का भोग लगाया जाएगा।
अस्वस्थ होने के कारण भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और बहन सुभद्रा शयनकक्ष में आराम कर रहे हैं। भक्तों के लिए दर्शन बंद कर दिए जाते है, भगवान का बीमार होना यह सब परंपरा का हिस्सा हैं जिसका निर्वहन करीब 350 सौ सालों से आज भी किया जा रहा है।
15 दिन भोग में दी जाएगी खिचड़ी
लक्ष्मण बाग का यह मंदिर कई वर्ष पुराना है। जहां पर पुरानी परम्परा के अनुसार ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा को भगवान जगन्नाथ लू लगने से बीमार पड़ जाते है। इसके बाद मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं, इस दौरान 15 दिनों तक भोग में उन्हें खिचड़ी एवं ठंडई दी जाती है और राज्य वैध आकर भगवान को दवा देकर इलाज करते है।
मंदिर के पुजारियों द्वारा 108 कलश औषधीय जल से भगवान को स्नान कराया जाता है। भगवान को आराम करने के लिए अलग स्थान दिया जाता है भक्तों के लिए मंदिर के पट बंद कर दिए जाते है। 15 दिनों बाद भगवान ठीक होंगे और रथ यात्रा के दिन लोगों को दर्शन देंगे। रीवा में भी भगवान जगन्नाथ का यह मंदिर सैकड़ों वर्षों पुराना है।
दीनानाथ शास्त्री ने बताया कि यहां पर रथ यात्रा की परंपरा रही है। जिसमे निकलकर भगवान लोगों को दर्शन देते हैं। रीवा रियासत में भगवान जगन्नाथ रथयात्रा की सदियों पुरानी परंपरा है, जिसका निर्वाहन रीवा रियासत के सभी राजाओं ने किया।
आज भी राजपरिवार के मुखिया और जनता के द्वारा रथयात्रा निकाली जाती है। लक्ष्मण बाग मंदिर से भगवान सज धज कर निकलते हैं और शहर भ्रमण कर लोगों को दर्शन देते हैं। 27 जून को इस बार रथ यात्रा में निकलेंगे।