
सागर के बंडा विकासखंड में उल्दन बांध परियोजना से वंचित ग्रामीणों ने अपनी मांगों को लेकर धसान नदी में उतरकर जल सत्याग्रह किया। प्रभावित ग्रामीणों का आरोप है कि उन्हें परियोजना की विस्थापन सूची में शामिल नहीं किया गया, जबकि उनके घर डूब क्षेत्र में आ रहे हैं। प्रशासनिक अनदेखी से नाराज़ ग्रामीणों ने महिलाओं और बच्चों के साथ मिलकर नदी में बैठकर विरोध जताया।
डूब क्षेत्र में होने के बावजूद सूची से बाहर
बंडा के कुल्ल, बहरोल, सेमरा अहीर, पिपरिया इल्लाई और किरोला गांवों के सैकड़ों लोग उल्दन बांध के कारण प्रभावित हो रहे हैं। पूर्व विधायक तरवर सिंह के अनुसार, बहरोल के करीब 300, कुल्ल और पिपरिया के 200-200 और किरोला के 50 परिवारों को विस्थापन सूची से बाहर कर दिया गया है।
ग्रामीणों की मांग है कि 18 वर्ष से अधिक उम्र के सभी पात्रों को शासन द्वारा निर्धारित मुआवजा— ₹6.36 लाख— का लाभ मिले और बांध प्रभावित सूची में सभी को दोबारा सर्वे के जरिए जोड़ा जाए।
जल सत्याग्रह में महिलाएं और बच्चे भी शामिल
रविवार को हुए सत्याग्रह में गांव के पुरुष, महिलाएं और बच्चे धसान नदी के पानी में उतरकर बैठ गए। ग्रामीणों ने बताया कि कई बार जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को ज्ञापन सौंपने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिससे आहत होकर उन्हें यह कदम उठाना पड़ा।
प्रशासन मौके पर पहुंचा, मिला एक सप्ताह का समय
जल सत्याग्रह की जानकारी मिलते ही बंडा के एसडीएम रवीश श्रीवास्तव और एसडीओपी प्रदीप वाल्मीकि मौके पर पहुंचे और प्रदर्शनकारियों को समझाइश देकर शांत किया। प्रशासन ने एक सप्ताह में मांगों के निराकरण का आश्वासन दिया, जिसके बाद ग्रामीणों ने आंदोलन स्थगित कर दिया। प्रभावितों ने चेतावनी दी है कि यदि तय समय सीमा में समाधान नहीं हुआ, तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे।
2018 में हुआ था सर्वे, फिर हटाए गए नाम
बहरोल निवासी चंद्रभान सिंह ने बताया कि 2018 में हुए सर्वे में पूरे मोहल्ले को डूब क्षेत्र में शामिल किया गया था, लेकिन बाद में 6 परिवारों को सूची से हटा दिया गया। ये परिवार शासन की योजनाओं के सभी लाभों से वंचित हैं और एक साल से दोबारा सर्वे की मांग कर रहे हैं, पर कोई सुनवाई नहीं हो रही।