
जबलपुर की नेताजी सुभाष चंद्र बोस सेंट्रल जेल के कैदी इस साल भी इको-फ्रेंडली गणेश प्रतिमाएं बना रहे हैं। ये मूर्तियां गोबर, मिट्टी और तुलसी के बीज से बनाई जा रही हैं, ताकि विसर्जन के बाद ये पर्यावरण को कोई नुकसान न पहुंचाएं।
इन मूर्तियों को जेल के बाहर एक स्टॉल पर बेचा जा रहा है। इनकी कीमत 51 रुपए से 351 रुपए तक है। लोग यहां से मूर्तियां खरीद रहे हैं, क्योंकि ये सस्ती होने के साथ-साथ पर्यावरण के लिए सुरक्षित भी हैं।
इन गणेश प्रतिमाओं को खरीदने आने वाली आराधना दीक्षित ने बताया कि वे पिछले तीन सालों से यहीं से गणेश जी लेते हैं। उन्होंने कहा, ये इको-फ्रेंडली हैं, इसलिए इन्हें घर में ही गमले में विसर्जित किया जा सकता है। इससे पौधे भी उग जाते हैं और प्रकृति को भी कोई नुकसान नहीं होता। इसके अलावा, यहां मार्केट से बहुत कम दाम में अच्छी मूर्तियां मिल जाती हैं।
कैदियों को रचनात्मक कामाें से जोड़ना उद्देश्य
जेल उप अधीक्षक मदन कमलेश ने बताया कि इस पहल का उद्देश्य कैदियों को रचनात्मक कार्यों से जोड़ना और पर्यावरण संरक्षण में योगदान देना है। उन्होंने बताया कि इस साल लगभग 200 प्रतिमाएं बनाई गई हैं, जिन्हें आठ कैदियों की एक टीम ने मिलकर तैयार किया है।
ये मूर्तियां न केवल इको-फ्रेंडली हैं, बल्कि इनका मूल्य भी बहुत कम है, जो इन्हें आम लोगों के लिए सुलभ बनाता है। ये मूर्तियां लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने में भी मदद कर रही हैं। यह पहल दिखाती है कि जेल में बंद कैदी भी समाज और पर्यावरण के लिए सकारात्मक योगदान दे सकते हैं।
इस अनूठी पहल से जहां एक तरफ कैदियों को समाज में सकारात्मक योगदान देने का मौका मिल रहा है, वहीं दूसरी तरफ यह लोगों को भी पर्यावरण के अनुकूल त्योहार मनाने के लिए प्रेरित करती है।