
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उन कलेक्टरों की प्रशासनिक व्यवस्था पर नाराजगी जताई है, जो खाद वितरण के मामले में किसानों के गुस्से पर कंट्रोल नहीं कर पा रहे हैं और जहां खाद की कमी के नाम पर सरकार की किरकिरी हो रही है। ऐसे में इन कलेक्टरों को हटाने पर भी निर्णय लिया जा सकता है। सीएम ने कलेक्टर्स से कहा कि, खाद वितरण सही नहीं हुआ मतलब जिला नहीं चला पा रहे। हटाना होगा।
मुख्यमंत्री ने यह नाराजगी रीवा में मंगलवार को खाद वितरण को लेकर उपजे असंतोष और वहां हुए लाठीचार्ज की स्थिति के चलते जताई है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रदेश के अतिवृष्टि और बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यों और जिलों में खाद वितरण की स्थिति की मुख्यमंत्री निवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए समीक्षा की।
जिला प्रशासन आवश्यक व्यवस्था बनाए
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि जिलों में खाद वितरण के संबंध में जिला प्रशासन आवश्यक व्यवस्था बनाए। जिलों में उपलब्ध खाद की उचित वितरण व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। खाद वितरण के संबंध में किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से जिला प्रशासन निरंतर संवाद और संपर्क में रहे।
खाद वितरण की व्यवस्था में किसान संगठन के प्रतिनिधियों को भी जोड़ा जाए। जिलों में यदि खाद वितरण को लेकर अव्यवस्था होती है, तो उसके लिए जिला कलेक्टर उत्तरदायी होंगे।
रैक आने के तीन दिन पहले किसानों को सूचना दें कलेक्टर
मुख्यमंत्री ने कहा कि खाद की रैक आने से पहले किसान संगठनों और अन्य सूचना तंत्रों के माध्यम से कलेक्टर जिले के किसानों को जानकारी दें कि जिस तारीख को खाद वितरण होने वाला है, उस तारीख को ही लेने आएं। इसके लिए तीन दिन पहले से प्रचार-प्रसार करें, ताकि लोगों को जानकारी रहे कि किस दिन खाद मिलने वाला है।
इससे अव्यवस्था नहीं रहेगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि राज्य शासन हर स्थिति में किसानों के साथ है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि जिलों में उर्वरक उपलब्धता की सघन समीक्षा की जाए। इसके साथ ही जिले में उपलब्ध उर्वरक के स्टॉक की जानकारी जनप्रतिनिधियों से भी साझा की जाए, जिससे किसानों को जिले में उर्वरक उपलब्धता की वास्तविक स्थिति से अवगत कराने में मदद मिलेगी। जिला प्रशासन डबल लॉक, पैक्स और निजी खाद बिक्री केंद्रों का आकस्मिक सत्यापन और उनकी मॉनिटरिंग अनिवार्यतः करे।
जिनके नाम छूटे, सर्वे कर उन्हें भी राहत राशि दें
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश में जिन-जिन क्षेत्रों में अतिवृष्टि और बाढ़ से फसलों को क्षति हुई है, वहां राहत के लिए तत्काल कार्रवाई आरंभ की जाए। इसके साथ ही जनहानि और पशुहानि की स्थिति में 24 घंटे के भीतर राहत उपलब्ध कराई जाए।