
पन्ना में पितृपक्ष का आगाज हो गया है। अगले 15 दिनों तक चलने वाले इस पर्व में श्रद्धालु अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण करेंगे।
पहले दिन सुबह 5 बजे से ही धरम सागर तालाब पर श्रद्धालुओं की भीड़ जुटनी शुरू हो गई। पंडित योगेंद्र शास्त्री ने मंत्रोच्चार के साथ विधि-विधान से तर्पण कराया। श्रद्धालुओं ने तिल, चावल, जौ और कुशा से अपने पूर्वजों को अर्ध्य दिया। तर्पण का यह क्रम सुबह 10 बजे तक चलता रहा।
7 सितंबर से श्राद्ध पक्ष भी प्रारंभ हो गया है। इस दौरान जिस तिथि को जिस पूर्वज का स्वर्गवास हुआ हो, उसी तिथि को उनका श्राद्ध किया जाता है। यह परंपरा हिंदू धर्म में राजा कर्ण के समय से चली आ रही है।
पितृ पक्ष 21 सितंबर तक चलेगा। इन दिनों में परिवार के मृत सदस्यों को याद किया जाता है और उनकी आत्म शांति के लिए धूप-ध्यान किए जाते हैं। मान्यता है कि पितृ पक्ष के दिनों में पितर देवता हमारे घर पधारते हैं और जो लोग उनके लिए धूप-ध्यान करते हैं, उन्हें वे आशीर्वाद देते हैं।
मान्यता है कि राजा कर्ण ने भगवान से 15 दिन मांगे थे, ताकि वे अपने पूर्वजों को तर्पण कर सकें और दान-पुण्य कर सकें। तभी से लोग इन 15 दिनों में अपने पूर्वजों का श्राद्ध करते हैं और धार्मिक कार्य करते हैं। धरम सागर के अलावा अन्य घाटों पर भी बड़ी संख्या में लोगों ने स्नान कर तर्पण किया।
