
जिला पंचायत रीवा और मऊगंज के भ्रष्ट सचिवों और ग्राम रोजगार सहायकों (जीआरएस) से शासकीय राशि की वसूली अब तक नहीं हो पाई है। करीब 2 करोड़ 11 लाख रुपए की रिकवरी होनी थी, लेकिन अब तक केवल 54 लाख रुपए की ही वसूली हो सकी है। यह वसूली भी महज 31 सचिवों से हुई है। इससे जिला पंचायत प्रशासन की कार्यप्रणाली और नीयत पर सवाल उठने लगे हैं।
विकास कार्यों का पैसा हजम, त्योंथर में सबसे ज्यादा गड़बड़ी
जिन राशियों की वसूली होनी थी, वे जनता के विकास कार्यों के लिए भेजी गई थीं। प्रशासनिक लापरवाही और जानबूझकर की जा रही देरी के चलते करीब डेढ़ करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है। अकेले त्योंथर जनपद पंचायत में ही आधे से ज्यादा सचिवों और जीआरएस ने गड़बड़ी की है।
आशंका जताई जा रही है कि इन घोटालों को दबाने में जिला पंचायत के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत हो सकती है, क्योंकि कई ऐसे आरोपी सचिवों को फिर से वित्तीय अधिकार दे दिए गए हैं।
कानूनी आदेशों का पालन भी नहीं कर रहा प्रशासन
सूत्रों के मुताबिक, पंचायती राज अधिनियम की धारा 40 और 92 के तहत कार्रवाई के निर्देश दिए गए थे, लेकिन उन पर भी अब तक अमल नहीं हुआ है। जिन कर्मचारियों को दोषी ठहराया गया था, वे आज भी पंचायतों में पदस्थ हैं और योजनाओं में गड़बड़ी कर रहे हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता ने उठाए सवाल
सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी का कहना है कि जिन सचिवों और जीआरएस से वसूली होनी थी, वे अब भी पंचायतों में बैठे हैं और अपनी मनमानी कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि जिला पंचायत अधिकारी इन लोगों की रक्षा में लगे हैं, जिससे सरकारी योजनाओं का पैसा सही जगह खर्च नहीं हो पा रहा।
प्रभारी कलेक्टर बोले- कोई नहीं बचेगा
प्रभारी कलेक्टर सौरभ सोनवड़े ने कहा कि जिनसे वसूली होनी है, उनके खिलाफ नियमों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। जरूरत पड़ी तो सेवा से पृथक करने और एफआईआर दर्ज करने तक की कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि शासन का पैसा हड़पने वालों को छोड़ा नहीं जाएगा और इस संबंध में सीईओ जिला पंचायत को निर्देश दिए जाएंगे।