
पन्ना में स्थित जुगल किशोर मंदिर में पितृपक्ष के दौरान यहां भगवान जुगल किशोर भी अपने पूर्वजों का तर्पण करते हैं। मंदिर के पुजारी मुकेश ने बताया कि इस दौरान भगवान जुगल किशोर अपनी रंगीन पोशाक त्याग कर सफेद परदनियां गमछा धारण करते हैं। राधा जी भी सफेद साड़ी पहनती हैं। यह परंपरा 15 दिनों तक चलती है।
यहां भगवान मनुष्य और परमात्मा दोनों रूपों में विराजमान हैं। इसलिए वे भी मनुष्यों की तरह अपने पितरों का तर्पण करते हैं। पन्ना के आराध्य देव माने जाने वाले जुगल किशोर भगवान से मांगी गई मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
शास्त्रों के अनुसार, पितृपक्ष में पूर्वज आकाश की विभिन्न दिशाओं से अपने वंशजों को देखते हैं। वे अपनी तिथियों पर पुत्र-पौत्रों के किए जाने वाले हवन की कामना करते हैं।
इस दौरान कौए और गाय को भोजन प्रदान किया जाता है। माना जाता है कि यह भोजन सूक्ष्म मार्ग से सूर्य की किरणों के माध्यम से पितरों तक पहुंचता है। सोलह दिनों के बाद पितृगण पितृलोक लौट जाते हैं।
