
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में लाखों मामले सालों से लंबित पड़े हैं। लिहाजा इसे लेकर चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा ने 10 स्पेशल बेंच का गठन किया है। संभवत: यह कदम हाईकोर्ट के इतिहास में पहली बार उठाया गया है, जब एक साथ इतनी बड़ी संख्या में बेंचों का गठन किया गया है।
शनिवार को इन बेंचों में सुनवाई शुरू होगी। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष डी.के. जैन और सचिव परितोष त्रिवेदी ने कुछ दिन पहले मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर लंबित मामलों की सुनवाई के लिए विशेष पहल करने का आग्रह किया था।
5 लाख के करीब केस लंबित, जमानत याचिकाएं भी हजारों में
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में फिलहाल लगभग 4.80 लाख केस लंबित हैं। इनमें से मुख्य पीठ (जबलपुर) में करीब 3 हजार जमानत अर्जियां लंबित हैं। वर्तमान में केवल 41 न्यायाधीश कार्यरत हैं, जबकि मंजूरी 53 पदों की है। इससे प्रत्येक जज पर मामलों का अत्यधिक दबाव है।
जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों की जमानत याचिकाओं पर लंबे समय तक सुनवाई नहीं हो पाती। स्पेशल बेंचों के गठन से इन मामलों के त्वरित निपटारे की उम्मीद है, जिससे न्याय मिलने में देरी नहीं होगी।
इन न्यायाधीशों को सौंपी गई जिम्मेदारी
सीजे संजीव सचदेवा की गठित स्पेशल बेंच में शामिल जज:
- जस्टिस अचल कुमार पालीवाल
- जस्टिस प्रमोद कुमार अग्रवाल
- जस्टिस देवनारायण मिश्रा
- जस्टिस दीपक खोत
- जस्टिस अजय कुमार निरंकारी
- जस्टिस हिमांशु जोशी
- जस्टिस रामकुमार चौबे
- जस्टिस रत्नेशचंद्र सिंह बिसेन
- जस्टिस बी.पी. शर्मा
- जस्टिस प्रदीप मित्तल
लोक अदालत और मीडिएशन से भी मिली रफ्तार
बीते सालों में लोक अदालतों और मीडिएशन (सुलह) केंद्रों के जरिए भी मामलों के निराकरण की रफ्तार कुछ हद तक बढ़ी है, लेकिन केसों की संख्या के अनुपात में यह प्रयास अपर्याप्त साबित हो रहे हैं।
बार एसोसिएशन और विशेषज्ञों की मांग है कि शेष 12 स्वीकृत न्यायाधीश पदों पर शीघ्र नियुक्तियां की जाएं, ताकि न केवल न्यायपालिका पर दबाव कम हो, बल्कि आम जनता को समय पर न्याय मिल सके।