
दमोह जिले के पथरिया वार्ड क्रमांक 7 में जैन समाज के संचालित एक हथकरघा यूनिट से करीब 100 स्थानीय लोगों को रोजगार मिल रहा है। ये यूनिट आजीविका का एक महत्वपूर्ण स्रोत बनकर उभरी है।
रविवार की सुबह कलेक्टर सुधीर कोचर ने इस हथकरघा यूनिट का दौरा किया। उन्होंने न सिर्फ यूनिट के संचालन को समझा, बल्कि यहां तैयार हो रहे कपड़ों की खरीदारी भी की।
यूनिट में काम करने की ये हैं शर्तें
यूनिट के संचालक ब्रह्मचारी सुलभ भैया ने कलेक्टर को बताया कि यह यूनिट बिना किसी जाति या धर्म के भेदभाव के लोगों को काम सिखाती है और रोजगार देती है। काम सीखने के लिए सिर्फ यह शर्त है कि व्यक्ति को शराब और मांसाहार का त्याग करना होगा। कार्य की प्रकृति को देखते हुए, जिसमें अच्छी दृष्टि आवश्यक होती है, 35 से 40 वर्ष की आयु के युवाओं को प्राथमिकता दी जाती है।
17 करोड़ का टर्नओवर, घरों से भी हो रहा संचालन
सुलभ भैया ने बताया कि यूनिट परिसर के अलावा नगर के कई लोगों के घरों पर भी हथकरघा मशीनें स्थापित की गई हैं। ये कारीगर अपने घरों पर कपड़े तैयार करते हैं और फिर उन्हें यूनिट को वापस सौंपते हैं।
तैयार कपड़ों को देवरी के पास बीना बारा में स्थित एक बड़ी यूनिट में भेजा जाता है, जहां से इन्हें स्टोर रूम में रखा जाता है या ऑनलाइन बेचा जाता है। वर्तमान में इस यूनिट का वार्षिक टर्नओवर 16 से 17 करोड़ रुपए है।
जेलों में भी लगी यूनिट
यूनिट की सफलता को देखते हुए, सुलभ भैया ने बताया कि देश की 6 जेलों-जिनमें सागर, आगरा, तिहाड़, मथुरा, बनारस और मिर्जापुर शामिल हैं, इनमें भी इसी तरह की हथकरघा यूनिटें संचालित हैं। इन जेलों में 450 से अधिक कैदी इस माध्यम से अपनी आजीविका कमा रहे हैं।
कलेक्टर सुधीर कोचर ने इस मॉडल की सराहना की और घोषणा की कि वह दमोह जिला जेल में भी ऐसी यूनिट शुरू करने के लिए जेल डीजी को पत्र लिखेंगे, ताकि दमोह जेल के कैदियों को भी रोजगार मिल सके।