
Kamal Nath Likely To BJP: कमलनाथ के भाजपा में शामिल होने की अटकलों के बीच यह जानना बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है कि यह स्थिति कैसे बनी? ऐसा क्या हुआ कि जो नेता इंदिरा गांधी के तीसरे बेटे की तरह देखा जाता था, वह पार्टी छोड़ने के कगार पर पहुंच गया।
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ भाजपा में शामिल हो सकते हैं। उन्होंने छिंदवाड़ा में अपने समर्थक नेताओं से बातचीत की। उनसे रायशुमारी की और सीधे-सीधे पूछा कि ‘क्या करना है?’ इसके बाद छिंदवाड़ा के अन्य कार्यक्रम निरस्त किए और भोपाल होकर दिल्ली के लिए रवाना हो गए। अब कहा जा रहा है कि कमलनाथ छिंदवाड़ा से अपने सांसद बेटे नकुल नाथ के साथ भाजपा में शामिल होने वाले हैं। हालांकि, उनकी या उनके किसी समर्थक की तरफ से इस पर कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिन कमलनाथ को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी के तीसरे बेटे की तौर पर देखा जाता था, वह पार्टी छोड़ने के कगार पर कैसे पहुंचे? नवंबर-दिसंबर में मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनावों में पार्टी ने उन्हें मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया। इसके बाद अचानक उन्हें मध्य प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया गया। पार्टी के कार्यक्रमों से भी उन्होंने दूरी बना ली और फिर अचानक उनके भाजपा में जाने की अटकलें तेज हो गई।
कमलनाथ की नाराजगी के पांच कारण
1. विधानसभा की हार का ठीकराः मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने कमलनाथ के नेतृत्व में चुनाव लड़ा। प्रदेश की 230 में से भाजपा ने 163, कांग्रेस ने 66 और भारत आदिवासी पार्टी ने एक सीट जीती थी। कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों में हार का ठीकरा कमलनाथ पर फोड़ दिया। उन्हें इसके लिए जिम्मेदार ठहराया गया। अन्य नेताओं ने भी उन्हें अलग-थलग कर दिया।
2. अचानक अध्यक्ष पद से हटायाः विधानसभा चुनावों में हार के बाद कांग्रेस ने एकाएक अपना प्रदेश अध्यक्ष बदल दिया। राहुल गांधी के करीबी रहे जीतू पटवारी को प्रदेश कांग्रेस की बागड़ोर सौंपी गई। न तो कमलनाथ से रायशुमारी हुई और न ही उन्हें बताया गया और अचानक उन्हें बदलने का फरमान जारी हो गया। इससे भी कमलनाथ आहत हुए थे। भले ही सार्वजनिक मंच पर उन्होंने इसे छिपाया, लेकिन नाराजगी नहीं छिपा सके।
3. केंद्र की राजनीति करना चाहते थेः कमलनाथ की सक्रियता हमेशा से केंद्रीय राजनीति में रही है। 2018 के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले उन्हें मध्य प्रदेश में भेजा गया था। जब सरकार चली गई तो लगा कि उन्हें फिर से दिल्ली बुला लिया जाएगा। इसके विपरीत पार्टी ने उन्हें मध्य प्रदेश में ही उलझाए रखा। 2023 के विधानसभा चुनावों में हार के बाद कमलनाथ फिर दिल्ली जाना चाहते थे, लेकिन पार्टी ने उनकी नहीं सुनी।
4. राज्यसभा टिकट नहीं मिलाः कमलनाथ राज्यसभा का चुनाव लड़कर केंद्रीय राजनीति का हिस्सा बनना चाहते थे। उन्होंने कांग्रेस विधायकों के लिए एक डिनर भी रखा था। तब पार्टी ने मध्य प्रदेश से राज्यसभा के लिए सोनिया गांधी को चुनाव लड़ने का आग्रह किया। जब सोनिया गांधी ने राजस्थान को चुना तो दिग्विजय सिंह के समर्थक अशोक सिंह को राज्यसभा का उम्मीदवार बना दिया गया। यह पूर्व मुख्यमंत्री को अच्छा नहीं लगा।
5. चुनावों में दिग्विजय सिंह से अनबनः विधानसभा चुनावों के दौरान भाजपा से आए कुछ विधायकों और पूर्व विधायकों के टिकट को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से भी कमलनाथ की अनबन हुई थी। कमलनाथ का एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें वह टिकट मांग रहे नेताओं को कह रहे हैं कि जाकर दिग्विजय सिंह के कपड़े फाड़ो। कमलनाथ खेमे को लगता है कि यह सब पार्टी के एक धड़े ने किया। उनके खिलाफ माहौल बनाया गया।