
जनसंघ ने चार उम्मीदवार खड़े किए थे और उसे राज्य में 9.65 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे, परंतु उसे सफलता हासिल नहीं हुई थी। जबकि हिंदू महासभा ने मात्र 6.26 फीसदी वोट हासिल कर दो सीटें जीत ली थी।
1951-52 में हुए देश के पहले आम चुनाव में कांग्रेस की लहर थी। जाहिर है मध्यभारत में भी कांग्रेस के प्रति सहानुभूति रही थी। कुल नौ सीटें थीं और कांग्रेस ने 11 उम्मीदवार खड़े किए थे (दो आरक्षित सीट पर डबल उम्मीदवार खड़े थे)। चुनाव में कांग्रेस के नौ उम्मीदवार विजयी रहे थे। मध्य भारत में हिंदू महासभा का पहले चुनाव में प्रदर्शन काफी अच्छा रहा था। गुना और ग्वालियर की आरक्षित सीट से विष्णु घनश्याम देशपांडे विजयी रहे थे। जनसंघ ने चार उम्मीदवार खड़े किए थे और उसे राज्य में 9.65 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे, परंतु उसे सफलता हासिल नहीं हुई थी। जबकि हिंदू महासभा ने मात्र 6.26 फीसदी वोट हासिल कर दो सीटें जीत ली थी।
सोशलिस्ट पार्टी ने आठ उम्मीदवार खड़े किए थे चार की जमानत जब्त हो गई बाकी चार की जमानत बच पाई। पार्टी को राज्य में डाले गए कुल मतों के 13.74 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे, परंतु कोई सीट नहीं मिली थी। जे.बी.कृपलानी द्वारा स्थापित किसान मजदूर प्रजा पार्टी ने एक उम्मीदवार खड़ा किया था उसकी भी जमानत जब्त हो गई थी। करपात्रीजी महाराज द्वारा स्थापित अखिल भारतीय राम राज्य परिषद ने चार उम्मीदवार खड़े किए थे, लेकिन किसी भी उम्मीदवार को सफलता हासिल नहीं हुई थी। वह राज्य में 14.25 मत प्राप्त कर राज्य में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी (प्राप्त मतों के अनुसार) थी।
मध्यभारत में पहले लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय दलों के 32 और निर्दलीय 6 इस तरह 38 उम्मीदवार चुनाव में अपना भाग्य आजमा रहे थे। इनमें में राष्ट्रीय पार्टी के 7 और 6 निर्दलीय उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी।
बैजनाथ महोदय, लीलाधर जोशी और काटजू प्रमुख विजेताओं में थे
कांग्रेस ने राज्य में डाले गए वैध मतों का पचास प्रतिशत प्राप्त कर नौ उम्मीदवारों ने विजय हासिल की थी, इस तरह राज्य में कांग्रेस सबसे बड़ा दल था। आदिवासी के लिए एकमात्र आरक्षित सीट झाबुआ की थी, जहां से कांग्रेस के अमरसिंह विजयी रहे थे। विजय उम्मीदवारों में प्रमुख थे निमाड़ से बैजनाथ महोदय, शाजापुर से लीलाधर जोशी और मंदसौर से डॉक्टर कैलाशनाथ काटजू।
मात्र 35 फीसदी वोटरों ने डाले थे वोट
प्रभावती रामचंद्र जो रामराज्य परिषद से उज्जैन और शाजापुर राजगढ़ दो स्थानों से मैदान में थी, लेकिन उन्हें दोनों स्थानों पर सफलता हासिल नहीं हुई थी। मध्यभारत में 35.42 प्रतिशत मतदाताओं ने ही अपने मत का उपयोग किया था।