
संदेशखाली प्रकरण के बाद माना जा रहा है कि इंडिया गठबंधन को पश्चिम बंगाल में जल्द मजबूती मिल सकती है। संदेशखाली प्रकरण के बाद तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी काफी तिलमिलाई हैं। वह इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने के लिए भाजपा को करारा जवाब देना चाहती हैं…
पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस पार्टी के बीच में सीटों के तालमेल को लेकर प्रयास तेज हो गए हैं। कांग्रेस के एक संकट मोचक ने भी इनिशिएटिव ले लिया है। सूत्र बताते हैं कि सब ठीक रहा तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संदेशखाली दौरे से पहले तृणमूल कांग्रेस सीटों के बंटवारे को अंतिम रूप दे सकता है। प्रधानमंत्री 1-2 मार्च को पश्चिम बंगाल के दौरे पर हैं और वह संदेशखाली भी जाएंगे।
तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य ने भी कहा कि अभी गठबंधन की संभावना खत्म नहीं हुई है। सूत्र का कहना है कि राजनीति में कुछ बंद नहीं होता। वैसे भी ममता बनर्जी I.N.D.I गठबंधन को मजबूती देने वाले नेताओं में हैं। पश्चिम बंगाल के कांग्रेस की पूर्व सांसद दीपादास मुंशी इस समय तेलंगाना और केरल के दौरे पर हैं। दीपादास मुंशी कहती हैं कि अभी इसके बारे में उनके पास कोई जानकारी नहीं है। वह केवल पहले की स्थिति जानती हैं। इसमें तृणमूल कांग्रेस पार्टी को केवल दो सीट दे रही थी। बदले में दूसरे राज्य में तृणमूल सीटें मांग रही थी। कोई नई बात हो रही हो तो नहीं कह सकते। इतना जरूर है कि 2024 में एनडीए को सत्ता से हटाने के लिए सभी धर्म निरपेक्ष दलों को अपने निजी हितों से ऊपर उठकर एक मंच पर आना चाहिए।
संदेशखाली प्रकरण ने तृणमूल को काफी नुकसान पहुंचाया
भाजपा की नेता अग्निमित्रा पॉल कहती हैं कि संदेशखाली में महिलाओं से बलात्कार हुआ है। इससे बुरा कुछ और हो सकता है क्या? लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मौन हैं? भाजपा पश्चिम बंगाल में बहुत आक्रामक है। सुवेंदु अधिकारी ने भी पश्चिम बंगाल की सरकार पर इसे लेकर काफी आक्रामक रुख अपनाया है। तृणमूल के सांसद भी मानते हैं कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले संदेशखाली की घटना ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की छवि को चोट पहुंचाई है। कांग्रेस के सांसद भी संदेशखाली प्रकरण को राज्य की तृणमूल सरकार के लिए अच्छा नहीं बता रहे हैं। कांग्रेस के लोकसभा में नेता अधीररंजन चौधरी तो बाकायदा संदेशखाली जाने के लिए निकल पड़े थे। जब अधीर को पुलिस ने रोका तो वहीं धरने पर बैठ गए थे। अधीर रंजन चौधरी और ममता बनर्जी में 36 का आंकड़ा रहता है। अधीर से नाराजगी को लेकर ममता बनर्जी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की 40 सीटों से भी नीचे आने की भविष्यवाणी कर दी थी।
अब कांग्रेस और तृणमूल के रणनीतिकार चाहते हैं, बने बात
संदेशखाली प्रकरण के बाद माना जा रहा है कि इंडिया गठबंधन को पश्चिम बंगाल में जल्द मजबूती मिल सकती है। संदेशखाली प्रकरण के बाद तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी काफी तिलमिलाई हैं। वह इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने के लिए भाजपा को करारा जवाब देना चाहती हैं। ऐसे में कांग्रेस से सीटों के तालमेल को जल्द अंतिम रूप दिए जाने की संभावना है। राष्ट्रीय जनता दल और समाजवादी पार्टी के नेता भी चाहते हैं कि अब धर्म निरपेक्ष दल तेजी से तालमेल को अंतिम रूप दें, क्योंकि लोकसभा चुनाव 2024 की अधिसूचना जारी होने में तीन सप्ताह से भी कम समय रह गया है।
तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता का कहना है कि पश्चिम बंगाल से कांग्रेस 02 सीटों से अधिक जीतने की स्थिति में नहीं है। भाजपा के बारे में सूत्र का कहना है कि इस बार 2019 नहीं दोहराया जाएगा। भाजपा के खाते में अधिकतम 03 या चार सीट आएंगी। जबकि तृणमूल कांग्रेस 35 से 36 सीटों को जीतने की क्षमता रखती है। लेकिन सूत्र का कहना है कि कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच में गठबंधन के बाद भाजपा को बमुश्किल 01 सीट ही मिल पाएगी। इसलिए हम तो इंडिया गठबंधन के पक्ष में हैं। धर्म निरपेक्ष दलों को साथ आना चाहिए। बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र, तमिलनाडु की तरह पश्चिम बंगाल में भी कांग्रेस को जिम्मेदारी के साथ आगे आना चाहिए। तृणमूल कांग्रेस की राज्यसभा सांसद सुष्मिता देव को भी काफी उम्मीदें हैं।