
किसानों के दिल्ली कूच और सिखों की नाराजगी के बीच आप और कांग्रेस के बीच चुनावी गठबंधन से बढ़ेगी भाजपा की चुनौती भी बढ़ी है। यदि किसानों का दिल्ली कूच का मामला बढ़ा तो पश्चिमी दिल्ली और उत्तर पश्चिमी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में भाजपा की परेशानी बढ़ेगी क्योंकि इन दोनों क्षेत्रों में सिखों के साथ किसानों की अच्छी संख्या है।
HIGHLIGHTS
- पश्चिमी और उत्तर पश्चिमी संसदीय क्षेत्र में चुनाव मत को कर सकते हैं प्रभावित।
- भाजपा के रणनीतिकार इसे ध्यान में रखकर बना रहे हैं अपनी चुनावी रणनीति।
किसानों के दिल्ली कूच और सिखों की नाराजगी के बीच आप और कांग्रेस के बीच चुनावी गठबंधन से बढ़ेगी भाजपा की चुनौती भी बढ़ी है। यदि किसानों का दिल्ली कूच का मामला बढ़ा तो पश्चिमी दिल्ली और उत्तर पश्चिमी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में भाजपा की परेशानी बढ़ेगी, क्योंकि इन दोनों क्षेत्रों में सिखों के साथ किसानों की अच्छी संख्या है। इस बार चुनाव में शिरोमणि अकाली दल (शिअद बादल) भी भाजपा के साथ नहीं है। उसे अपने बल पर सिखों का समर्थन प्राप्त करना है।
पिछले लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सभी सातों सीटों पर भाजपा को 52 प्रतिशत से अधिक मत मिले थे जिससे पार्टी को बड़ी जीत मिली थी। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भी पार्टी को सभी सीटों पर जीत मिली थी, लेकिन किसी भी सीट पर मत प्रतिशत 50क प्रतिशत से अधिक नहीं था।
इन दोनों चुनावों में आप व कांग्रेस के अलग-अलग चुनाव लड़े थे और प्रत्येक सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले में भाजपा प्रत्याशी को लाभ मिला था। इस बार की राजनीतिक स्थिति बदल गई है। आप व कांग्रेस के बीच चुनाव गठबंधन होने से लड़ाई आमने-सामने की हो गई है।
दोनों ही पार्टियां किसानों के दिल्ली कूच को लेकर भाजपा को घेरने में लगी हुई है। पार्टी के लिए सिखों को अपने साथ जोड़ना भी आसान नहीं है। इस बदली हुई राजनीतिक परिस्थिति का सबसे अधिक असर पश्चिमी व उत्तर पश्चिमी दिल्ली संसदीय क्षेत्र पर पड़ने की संभावना है।
पश्चिमी व उत्तर पश्चिमी दिल्ली क्षेत्र में सिखों के साथ ही ग्रामीण क्षेत्र के मतदाताओं की अच्छी संख्या है। पिछली बार भाजपा को इनका समर्थन मिला था जिससे दोनों सीटों पर भाजपा 60 प्रतिशत से अधिक मत प्राप्त करने में सफल रही थी। इस बार कांग्रेस व आप की कोशिश किसानों के दिल्ली कूच को तूल देकर इन्हें भाजपा से दूर करने की है। पश्चिमी दिल्ली में लगभग साढ़े तीन लाख सिख मतदाता हैं।
पिछले लोकसभा चुनाव में शिअद बादल के साथ समझौता के कारण भाजपा प्रत्याशी को सिखों का अच्छा समर्थन मिला था। अब गठबंधन नहीं है और विधानसभा व नगर निगम चुनाव में इन क्षेत्रों में भाजपा का प्रदर्शन काफी खराब रहा था। उत्तर पश्चिमी दिल्ली में भी लगभग एक लाख सिख मतदाता हैं।
भाजपा नेतृत्व इसे ध्यान में रखकर अपनी रणनीति बना रहे हैं। पिछली बार की तरह इस बार भी उनकी कोशिश दिल्ली के किसानों को प्रदर्शनकारियों से दूर रखने की है। इसके लिए उनके बीच सक्रियता बढ़ाने की तैयारी है। सिख नेताओं व कार्यकर्ताओं को नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा पंथ के लिए किए गए कार्यों को संगत के बीच ले जाने को कहा गया है।
वर्ष 2014 लोकसभा चुनाव में पार्टियों का मत प्रतिशत
संसदीय क्षेत्र भाजपा आप कांग्रेस आप व कांग्रेस के मत प्रतिशत का योग
उत्तर पश्चिमी 46.44 38.56 11.61 50.17
पश्चिमी 48.30 28.38 14.33 42.71
वर्ष 2019 लोकसभा चुनाव में पार्टियों का मत प्रतिशत
संसदीय क्षेत्र भाजपा आप कांग्रेस आप व कांग्रेस के मत प्रतिशत का योग
उत्तर पश्चिमी 60.49 21.16 17.01 38.17
पश्चिमी 60.05 17.58 20.04 37.62