
Karnataka: राजनीतिक दल को मानहानि के कानून से छूट नहीं है। उस पर भी मुकदमा चलाया जा सकता है। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने भाजपा की एक याचिका पर यह टिप्पणी की है।
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने हाल ही में कहा कि एक राजनीतिक पार्टी के खिलाफ भी मानहानि का मुकदमा चला जा सकता है। अदालत भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से दाखिल एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। पार्टी ने दलील दी थी कि ‘व्यक्तियों का संघ’ होने के नाते एक एक सियासी दल को मानहानि कानूनों के दायरे में नहीं रखा जा सकता है।
बंगलूरू के शिवाजीनगर से कांग्रेस विधायक रिजवान अरशद ने भाजपा के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था। भाजपा की एक कथित अपमानजक पोस्ट के बाद यह मामला सामने आया। सुनवाई के दौरान भाजपा के वकील ने दलील दी कि ‘व्यक्तियों का संघ’ होने के नाते पार्टी को मानहानि कानूनों के दायरे में नहीं रखा जाना चाहिए। वकील ने यह भी कहा था कि शिकायत में दम नहीं है।
हालांकि, अरशद के वकील ने अदालत को बताया कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) ‘व्यक्ति’ शब्द को विस्तार से परिभाषित करती है। जिसमें व्यक्ति का संगठन भी शामिल है। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति कृष्ण दीक्षित कर रहे थे। उन्होंने कहा, आईपीसी की धारा-11 के तहत कंपनी या राजनीतिक दल को भी व्यक्ति माना जा सकता है। न्यायमूर्ति दीक्षित ने स्पष्ट किया कि राजनीतिक दलों और कंपनियों जैसी संस्थाओं की हकीकत में प्रतिष्ठा होती है। इसलिए वे मानहानि की कार्यवाही के लिए पात्र हो सकती हैं।
क्या है पूरा मामला
साल 2019 में भाजपा ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट डाला था। जिसमें पार्टी ने कहा था कि विधान परिषद के सदस्य रहे रिजवान अरशद कई चुनावी अनियमितताओं में शामिल रहे हैं। इसके बाद अरशद ने भाजपा और एक शख्स बालाजी अश्विन के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में उन्होंने कहा कि भाजपा के पोस्ट से उनकी पहचान को खतरा पैदा हो रहा है। इसके बाद जन प्रतिनिधियों की विशेष अदालत ने मामले का संज्ञान लिया। अदालत ने भाजपा और उसके अध्यक्ष को समन जारी किया। भाजपा ने इस समन को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया।