
जनसंघ ही भाजपा की मूल पार्टी है। 1957 के लोकसभा चुनाव में जनसंघ ने प्रदेश में 21 उम्मीदवार खड़े किए थे, लेकिन उसे कहीं भी सफलता हासिल नहीं हुई थी, बल्कि छह उम्मीदवार अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए थे।
1957 में मध्य प्रदेश के निर्माण के बाद हुए लोकसभा चुनाव में भारतीय जनसंघ ने चुनाव लड़ा था। जनसंघ ही भाजपा की मूल पार्टी है। 1957 के लोकसभा चुनाव में जनसंघ ने प्रदेश में 21 उम्मीदवार खड़े किए थे, लेकिन उसे कहीं भी सफलता हासिल नहीं हुई थी, बल्कि छह उम्मीदवार अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए थे। जनसंघ ने जरूर प्रदेश में कुल डाले गए मतों में से 13.96 प्रतिशत मत प्राप्त किए थे। जनसंघ के कई प्रमुख उम्मीदवारों को पराजय का सामना करना पड़ा था। जाहिर है आजादी के आंदोलन के बाद कांग्रेस के प्रति देशवासियों का गहरा प्रभाव था और कांग्रेस के पक्ष में माहौल भी था।
जनसंघ ने 1962 में खाता खोला
1962 में भारतीय जनसंघ ने प्रदेश में तीन स्थानों पर विजय प्राप्त कर प्रदेश में अपना खाता खोला था। तीन विजयी होने वाले उम्मीदवार देवास से हुकुमचंद, खरगोन से रामचंद्र बड़े और मंदसौर से उमाशंकर त्रिवेदी थे। वहीं, 13 उम्मीदवार अपनी जमानत भी बचा नहीं पाए थे। 1967 में जनसंघ ने 32 उम्मीदवार खड़े किए थे, जिसमें से 10 को सफलता हासिल हुई थी। यह प्रदेश में जनसंघ की सबसे बड़ी प्रदेश में जीत थी। चार उम्मीदवार अपनी जमानत जब्त करवा चुके थे।
1971 में जनसंघ ने 11 स्थानों पर विजय प्राप्त की थी। उसे कुल डाले गए मतों में से 33.56 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे जो, एक रिकॉर्ड बना था। जनसंघ से ग्वालियर से अटल बिहारी वाजपेयी और गुना से माधवराव सिंधिया विजयी रहे थे। 1977 में जनता पार्टी से गठबंधन कर जनसंघ चुनाव लड़ा था, उसे प्रदेश में 37 स्थानों पर बड़ी विजय प्राप्त हुई थी और कुल डाले गए मतों का 57.09 प्रतिशत मत प्राप्त कर एक रिकॉर्ड बनाया था। 1980 में मात्र चार स्थानों पर ही जीत हासिल हुई थी। ग्वालियर से एस के शेजवलकर, राजगढ वसंत कुमार, शाजापुर से फूलचंद वर्मा और उज्जैन से सत्यनारायण जटिया विजयी रहे थे। अप्रैल 1980 में भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ था। 1984 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश की सभी 40 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए पर उन्हें प्रदेश में कहीं भी कोई सफलता हासिल नहीं हुई बल्कि देश में भी भाजपा को दो स्थान प्राप्त हुए थे। प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को 29.99 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे।
राममंदिर आंदोलन की शुरुआत
1984 में प्रदेश में भाजपा से पराजित होने वालों में वसुंधरा राजे, अटल बिहारी वाजपेयी, उमा भारती, नंद कुमार साय, लक्ष्मी नारायण शर्मा, राघवजी, फूलचंद वर्मा, आरिफ बेग, राजेंद्र धारकर, सत्यनारायण जटिया और लक्ष्मी नारायण पांडेय प्रमुख थे। 1989 से देश में राममंदिर आंदोलन की शुरुआत हुई और भाजपा ने इस मुद्दे को उठाया। इस वर्ष के चुनाव भाजपा को प्रदेश में 40 स्थानों के लिए 33 उम्मीदवार खड़े किए और उसे 27 स्थानों पर जीत हासिल हुई और 39.66 प्रतिशत मत प्राप्त किए थे। 1991 के चुनाव में भाजपा को प्रदेश में 12 सीटों पर जीत से ही संतोष करना पड़ा था। इसके बाद 1996 से प्रदेश में भाजपा का जनाधार लगातार बढ़ता ही गया और सीटों में वृध्दि होती गई। 2009 में पुनः भाजपा को कम स्थान और वोट प्रतिशत में कमी का सामना करना पड़ा था। 2014 और 2019 में प्रदेश में भाजपा ने रिकॉर्ड मतों के साथ अपनी विजय यात्रा जारी रखी। 2019 में कांग्रेस को प्रदेश में एकमात्र छिंदवाड़ा सीट प्राप्त कर संतोष करना पड़ा था। 2024 में प्रदेश में कांग्रेस प्रदेश में अपना अस्तित्व कितना बचा पाएगी यह समय ही बताएगा।
मध्य प्रदेश में जनसंघ—भाजपा का प्रदर्शन
चुनाव वर्ष | प्रदेश में कुल सीटें | प्रत्याशी खड़े किए | विजयी | जमानत जब्त | वोट शेयर |
1957 | 36 | 21 | 0 | 6 | 13.96 |
1962 | 36 | 28 | 3 | 13 | 17.87 |
1967 | 37 | 32 | 10 | 4 | 29.56 |
1971 | 37 | 28 | 11 | 1 | 33.56 |
1977 | 40 | 39 | 37 | 0 | 57.09 |
1980 | 40 | 40 | 4 | 3 | 31.59 |
1984 | 40 | 40 | 0 | 3 | 29.99 |
1989 | 40 | 33 | 27 | 1 | 39.66 |
1991 | 40 | 40 | 12 | 0 | 41.88 |
1996 | 40 | 39 | 27 | 0 | 41.32 |
1998 | 40 | 40 | 30 | 0 | 54.73 |
1999 | 40 | 40 | 29 | 0 | 46.58 |
2004 | 29 | 29 | 25 | 0 | 48.13 |
2009 | 29 | 29 | 16 | 0 | 43.45 |
2014 | 29 | 29 | 27 | 0 | 54.02 |
2019 | 29 | 29 | 28 | 0 | 58.54 |