
समोसे हों या आलू के पराठे… आलू-गोभी हो या फ्रेंच फ्राइज, आलू किसी न किसी तरीके से अपनी ओर खींच ही लेता है। कभी मोटापे के डर से तो कभी ब्लड शुगर की वजह से इससे दूरी भी बनानी पड़ती है। बुंदेलखंड के सागर के किसान ने अब काले आलू की खेती कर रहा है जो कि न केवल फैट फ्री है बल्कि शुगर के मरीज भी इसे खा सकते हैं। साथ ही इसमें आयरन भी प्रचुर मात्रा में है, जो शरीर में खून की कमी को दूर करता है। यह हार्ट, लीवर और फेफड़े के लिए भी फायदेमंद है।
मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड अंचल के किसान अब पारंपरिक खेती से हटकर नई तकनीकी तथा नई फसलों के उत्पादन पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। सागर के युवा किसान दक्षिण अमेरिका में उगने वाले काले आलू की खेती कर रहे हैं। इससे सालाना पांच लाख रुपये तक कमाई हो रही है। काला आलू औषधीय फसल है, जिसके गुण और कीमत सफेद आलू के मुकाबले ज्यादा होती है। ग्राम कपूरिया के युवा आकाश चौरसिया भी एक ऐसे ही किसान हैं। आकाश ने करीब 15 साल पहले मल्टीलेयर प्राकृतिक जैविक खेती शुरू की थी। अब दूसरे किसान भी उनसे प्रेरित हो रहे हैं। आकाश के पास 16 एकड़ जमीन है। इसमें से एक एकड़ पर काले आलू की फसल लगी है। आकाश ने सागर जिले समेत बुंदेलखंड में किसानों को नई राह दिखाई है
सफेद आलू की तरह ही काले आलू की होती है खेती
आकाश ने बताया कि काले आलू की खेती दक्षिण अमेरिका के एंडिज पर्वतीय क्षेत्रों में की जाती है। अब इसकी खेती सागर में शुरू की है। प्रयोग के तौर पर पहली बार काले आलू की खेती की, जो सफल रही। तीन महीने में फसल आ जाती है। इस आलू की ऊपरी सतह काली और आंतरिक भाग गहरे बैंगनी रंग का होता है। काले आलू की खेती करने में एक एकड़ में किसान को करीब 50 हजार रुपये का खर्च आता है।
90 दिन में तैयार हो जाती है फसल
आकाश बताते हैं कि काले आलू की खेती के लिए दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है। आकाश ने सागर जिले समेत बुंदेलखंड में पहली बार काले आलू का उत्पादन किया है। उन्होंने एक एकड़ में यह फसल लगाई थी। इसमें करीब 100 क्विंटल पैदावार हुई। वह मध्यप्रदेश समेत उत्तर प्रदेश के किसानों को काला आलू उगाने की विधि सिखा रहे हैं।