
बंडा के पूर्व विधायक तरवर सिंह दमोह से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। बुधवार देर रात कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा की। लोधी बहुल सीट पर कांग्रेस ने तरवर सिंह लोधी पर भरोसा जताया है।
लंबे इंतजार के बाद बुधवार रात को कांग्रेस ने दमोह लोकसभा सीट से अपने प्रत्याशी का एलान कर दिया। कांग्रेस ने बंडा के पूर्व विधायक तरवर सिंह लोधी को अपना प्रत्याशी बनाया है। पार्टी ने यह दांव लोधीबहुल सीट होने के चलते खेला है। सरपंच पद से तरवर सिंह ने अपना राजनीतिक कॅरियर शुरू किया था। 2018 में विधायक बनने के बाद अब दमोह लोकसभा से प्रत्याशी बनाए गए हैं।
बीजेपी से राहुल लोधी हैं प्रत्याशी
इससे पहले कांग्रेस से बीजेपी में आए पूर्व विधायक राहुल सिंह को अपना प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। अब भाजपा और कांग्रेस की दमोह लोकसभा सीट पर स्थिति साफ हो गई है। दोनों ने लोकसभा क्षेत्र में 2.75 लाख लोधी वोटरों को देखते हुए जातिगत आधार पर अपना नेता चुना है। तरवर सिंह को कमलनाथ का करीबी माना जाता है। इससे पहले 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से तरवर सिंह लोधी बंडा से विधायक बने थे। उन्होंने बीजेपी के हरवंश राठौर को 25 हजार वोट से हराया था। हालांकि, वर्ष 2023 में कांग्रेस प्रत्याशी तरवर सिंह को भाजपा के वीरेंद्र लोधी ने 35 हजार वोटों के अंतर से हराया। पार्टी ने इसके बाद भी उन पर ही भरोसा जताया है।
तरवर को टिकट क्यों मिला
तरवर सिंह कमलनाथ के करीबी बताए जाते हैं। वर्ष 2018 और 2023 के विधानसभा चुनाव में कमलनाथ ने ही उन्हें टिकट दिलाया था। भाजपा ने लोधी समाज से राहुल सिंह लोधी को प्रत्याशी बनाया, तब से तय था कि कांग्रेस भी किसी लोधी प्रत्याशी को मैदान में उतारेगी। हालांकि, पिछले लोकसभा चुनाव में भी यही समीकरण बना था। प्रहलाद पटेल के खिलाफ कांग्रेस ने प्रताप लोधी को मैदान में उतारा था। इस बार कांग्रेस का लोधी प्रत्याशी लोकसभा के लिए नया चेहरा है। इससे पहले तरवर ने एक भी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा है। यही कारण है कि बंदेलखंड में जातीय गणित के आधार पर लोधी वोट बैंक को महत्व दिया गया है।
आठ में से तीन विधायक लोधी
दमोह लोकसभा की आठ विधानसभा सीटों पर नजर डाली जाए तो वर्तमान में 3 विधानसभा क्षेत्र में लोधी जाति के विधायक हैं। जिनमें जबेरा से धर्मेंद्र सिंह लोधी (भाजपा), बड़ा मलहरा से राम सिया भारती (कांग्रेस) और बंडा से वीरेंद्र सिंह लोधी (भाजपा) शामिल हैं। दमोह विधानसभा से जयंत मलैया (भाजपा), रहली से गोपाल भार्गव (भाजपा) और देवरी से बृजबिहारी पटैरिया (भाजपा) विधायक हैं। पथरिया से लखन पटेल (भाजपा) और हटा से उमा देवी खटीक (भाजपा) विधायक हैं। आठ में से सात विधानसभा सीटों पर भाजपा और एक पर कांग्रेस का कब्जा है। दमोह लोकसभा तीन जिलों में आती है, जिनमें दमोह की चार, सागर की तीन व छतरपुर की एक विधानसभा शामिल है।
तरवर सिंह लोधी का राजनीतिक सफर
तरवर सिंह लोधी का राजनीतिक सफर सरपंच पद से शुरू हुआ था। सागर जिले के बंडा ब्लॉक के ग्राम पड़वार में नौ फरवरी 1980 को जन्मे तरबर सिंह लोधी 2015 में जिला पंचायत सदस्य बने। उन्हें 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से टिकट मिला और पहली बार में ही विधायक बन गए। 43 वर्षीय तरबर सिंह 12वीं पास हैं। उनके परिवार में उनकी पत्नी के अलावा दो पुत्र हैं। उनके पिता निरंजन सिंह एक कृषक हैं।
टिकट के लिए इनमें था मुकाबला
दमोह लोकसभा सीट से कांग्रेस के मानक पटेल, गौरव पटेल, डॉ. जया लोधी टिकट के दावेदारों में थे। इन सबके बीच तरवर सिंह लोधी को मौका मिला। कहा यह जाता है कि तरवर सिंह को यदि छोड़ दें तो अन्य कोई दावेदार चुनाव लड़ना नहीं चाहता था।
दोनों प्रत्याशियों में समानता
भाजपा के राहुल सिंह लोधी और कांग्रेस के तरवर सिंह लोधी में एक बात कॉमन है। दोनों जिला पंचायत सदस्य रहे। फिर एक बार विधायक रहे हैं। फर्क इतना है कि राहुल सिंह ने जयंत मलैया को हराने के 18 महीने के अंदर ही कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया था। दमोह उपचुनाव में वह कांग्रेस के अजय टंडन से चुनाव हार गए थे। तरवर सिंह लोधी ने कांग्रेस नहीं छोड़ी जबकि आए दिन इस प्रकार की अटकलें लगती रही हैं कि राहुल के बाद अब तरवर भी बीजेपी में जाएंगे। ऐसा नहीं हुआ और तरवर सिंह लोधी पूरे पांच साल विधायक रहे।