
MP Lok Sabha Election: इस सीट पर पिछली 7 बार से भाजपा के उम्मीदवार चुनाव जीतते आ रहे हैं। अब देखना यह होगा कि क्या भाजपा इस बार भी अपना कब्जा बनाए रखने में कामयाब होगी या नहीं?
MP Lok Sabha Election: लोकसभा चुनाव को लेकर मध्य प्रदेश में सियासी शोर जारी है। भाजपा प्रदेश की सभी 29 सीटों पर प्रत्याशी उतार चुकी है, जबकि कांग्रेस ने 25 सीटों पर ही उम्मीदवार घोषित किए है। कांग्रेस ने एक सीट सपा के लिए छोड़ी हैं, ऐसे में अभी तीन सीटों पर उम्मीदवारों के नामों का एलान बाकी है।
प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों मे से सागर की बात करें तो यहां भाजपा ने महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष डॉ. लता वानखेड़े को उम्मीदवार बनाया है, जबकि कांग्रेस ने चंद्रभूषण सिंह बुंदेला उर्फ गुड्डू राजा के प्रत्याशी घोषित किया है। सागर सीट भाजपा का गढ़ मानी जाने वाली सीट है। इस सीट पर पिछली 7 बार से भाजपा के उम्मीदवार चुनाव जीतते आ रहे हैं। अब देखना यह होगा कि क्या भाजपा इस बार भी अपना कब्जा बनाए रखने में कामयाब होगी या नहीं?
ऐसा था 2019 का चुनाव परिणाम
दरअसल, मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड अंचल की प्रमुख लोकसभा सीट सागर पर देश की आजादी के बाद से कांग्रेस का कब्जा रहा। लेकिन, 1996 के बाद से यह सीट भाजपा का गढ़ बन गई। लगातार सात बार से भाजपा यहां कमल खिला रही है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी और वर्तमान सांसद राजबहादुर सिंह ने जीत हासिल की थी। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी प्रभुसिंह ठाकुर को 3 लाख 5 हजार 542 मतों से चुनाव हराया था।
लता और बुंदेला में मुकाबला
भाजपा ने सागर लोकसभा सीट से मध्य प्रदेश महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष लता वानखेडे़ को अपना प्रत्याशी बनाया है। जातीय समीकरण के आधार पर भाजपा का यह फैसला चौंकाने वाला था। क्योंकि, लता वानखेडे कुर्मी समुदाय से आती हैं जो पिछड़ा वर्ग के अंतर्गत आता है। अगर, ओबीसी वोट बैंक एकजुट होता है तो भाजपा प्रत्याशी की राह आसान नहीं होगी। वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस ने चंद्रभूषण सिंह बुंदेला उर्फ गुड्डू राजा को चुनावी मैदान में उतारा है। बुंदेला विधानसभा चुनाव के समय बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का दामन छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे। वे उत्तरप्रदेश के ललितपुर के डोंगरा कलां निवासी बुंदेला बंधु नाम से चर्चित सुजानसिंह बुंदेला परिवार के सदस्य हैं। पार्टी में शामिल होने के बाद कांग्रेस ने उन्हें अपना स्टार प्रचारक बनाया था।
क्या बोले भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशी?
भाजपा प्रत्याशी लता वानखेड़े ने कहा कि इस बार का चुनाव देश की विकास की योजनाओं को लेकर होगा। भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश का विकास किया है। राम मंदिर मुद्दे पर भी लोग भाजपा को ही वोट करेंगे। अंचल में रोजगार परक उद्योग धंधे आएं, चुनाव जीतने के बाद यह उनकी प्राथमिकता रहेगी। कांग्रेस प्रत्याशी चंद्रभूषण सिंह बुंदेला ने कहा कि केंद्र, राज्य और नगर तीनों जगह भाजपा की सरकार है। इसके बाद भी सागर का विकास नहीं किया गया। आज भी यहां के लोग पलायन करते हैं। स्वास्थ्य सुविधाएं खराब हैं, रोजगार के साधन नहीं हैं। वे यही मुद्दे लेकर जनता के बीच जा रहे हैं। अगर, जनता उन्हें चुनती है तो उनकी प्राथमिकता इन कमियों को दूर करने की होगी।
कांग्रेस के हाथ से निकला सागर
सागर लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा सीटें आती हैं। साल 1951 में यह सीट अस्तित्व में आई थी और तब यहां कांग्रेस का कब्जा था। तब यह सीट आरक्षित वर्ग के लिए रिजर्व थी। 1967 के चुनाव में यहां से भारतीय जन संघ ने जीत दर्ज की तो वहीं 1971 में कांग्रेस जीती। लेकिन, 77 के चुनाव में उसे भारतीय लोकदल से हार मिली। साल 1980 के चुनाव में कांग्रेस की यहां वापसी हुई और 1984 में भी उसका राज रहा। लेकिन, 1989 के चुनाव में यहां भाजपा ने जीत के साथ खाता खोला और शंकर लाल खटीक यहां से सांसद बने। साल 1991 के चुनाव में एक बार फिर से यहां कांग्रेस को सफलता मिली। लेकिन, 1996 के चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस से अपनी हार का बदला ले लिया और वीरेंद्र कुमार खटीक सांसद चुने गए। वो लगातार चार बार इस सीट से सांसद रहे। साल 2009 के चुनाव में भाजपा नेता भूपेंद्र सिंह और 2014 के चुनाव में भाजपा के टिकट पर लक्ष्मी नारायण सिंह सांसद बने। 2019 में भाजपा के राजबहादुर सिंह ने चुनाव जीता।
ओबीसी वर्ग निर्णायक भूमिका में
सागर जिला प्रदेश के मशहूर शहरों में से एक है। यह क्षेत्र कभी गुहा मानव की क्रीड़ा स्थली था। इस जिले का भूभाग रामायण और महाभारत काल में विदिशा और दशार्ण जनपदों में शामिल था। यहां की जनसंख्या 23 लाख 13 हजार 901 है, जिसमें से 72 प्रतिशत लोग गांवों में और 27 प्रतिशत लोग शहरों में निवास करते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग मुख्य रूप से कृषि और मजदूरी करते हैं। शहर में बड़ी संख्या में लोग बीड़ी और अगरबत्ती बनाने का काम भी करते हैं। सागर सीट पर ठाकुर और जैन समुदाय का अच्छा खासा प्रभाव है। पिछले चुनाव में जैन समाज ने भाजपा का साथ दिया था। लेकिन, समग्र ओबीसी वर्ग यहां निर्णायक भूमिका अदा करता है।
सागर लोकसभा क्षेत्र की उपलब्धियां
सागर लोकसभा क्षेत्र में एक दशक में कुछ उपलब्धियां हासिल हुई है। इनमें बुंदेलखंडमेडिकल कॉलेज, सीवरेज सिस्टम, शहर का स्मार्ट सिटी में चयन, बीना कटनी रेल खंड में तीसरी लाइन और राजकीय विश्वविद्यालय की घोषणा भी हुई है।
पलायट करने को मजबूर लोग
सागर संसदीय सीट की बात करें तो कृषि प्रधान इस इलाके में सिंचाई सुविधा के अभाव में किसान मजदूरी कर अपनी रोजी रोटी कमाते हैं। बुंदेलखंड के दूसरे जिलों की तरह सागर का बड़ा तबका बडे़ शहरों में पलायन करता है। औद्योगिकीकरण के नजरिए से देखा जाए तो मध्यप्रदेश की इकलौती रिफायनरी बीना रिफायनरी सागर संसदीय क्षेत्र में स्थित है। लेकिन, रोजगार के मामले में यहां लोगों को खास अवसर हासिल नहीं हुए। रिफाइनरी के कारण बीना कस्बे के लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार जरूर हासिल हुआ, लेकिन बेरोजगारी और पलायन की समस्या को खत्म नहीं हो पाई। इससे यहां पढे़ लिखे नौजवानों की संख्या ज्यादा है।
शहर का ढांचा बदला, रोजगार के साधन नहीं
स्वास्थ्य सुविधाओं की बात करें तो कहने को यहां शासकीय मेडिकल कॉलेज है। लेकिन, आज भी सुपर स्पेशियलिटी सुविधाओं का अभाव है। जिसके कारण मरीजों को नागपुर और भोपाल के चक्कर लगाने पड़ते हैं। लोगों का कहना है कि आजादी के बाद से यहां की समस्याएं जस की तस हैं। स्मार्ट सिटी योजना से शहर का आधारभूत ढांचा तो बदल गया। नए भवन, सड़कें और ब्रिज बन रहे हैं। लेकिन, रोजगार जैसे मुख्य मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया गया।
लोकसभा चुनाव की तैयारी
सागर लोकसभा सीट पर 17 लाख 38 हजार 36 मतदाता मतदाता हैं। इनमें 9 लाख 11465 पुरुष, 8 लाख 26 हजार 529 महिला और 42 अन्य मतदाता हैं। इस सीट पर सात मई को मतदान होगा। इसके लिए लोकसभा क्षेत्र में 2074 मतदान केंद्र बनाए जाएंगे, जिसमें 655 शहरी और 1419 ग्रामीण मतदान केंद्र होंगे। अधिक से अधिक मतदाता अपने मदाधिकार का प्रयोग करें, इसके लिए लोगों को जागरूकता किया जा रहा है।