
2014 के लोकसभा चुनाव में नोटा के विकल्प की सुविधा मतदाताओं को चुनाव आयोग ने उपलब्ध कराई थी। प्रदेश में 2014 के चुनाव में 3 लाख 91 हजार 771 मत नोटा को प्राप्त हुए थे, जो राज्य में कुल वैध मतों का 0.81 प्रतिशत था, जबकि 2019 में 3 लाख 40 हजार 984 मत नोटा को मिले जो 0.66 प्रतिशत था।
जब चुनाव मैदान में खड़े उम्मीदवार पसंद के नहीं हों तो आखिर किसे वोट दिया जाए। यह एक गंभीर प्रश्न रहता है मतदाता के सामने। मत देना एक मौलिक दायित्व है। मतदान प्रक्रिया पर सरकार एक बड़ी राशि व्यय करती है। कुछ देशो में मत न देने पर जुर्माने का प्रावधान है।
हमारे देश में 2013 नोटा (उपरोक्त में से कोई नहीं) का प्रावधान लागू हुआ था। मत देना भी है, और उसे कोई भी उम्मीदवार पसंद नहीं है तो वह यह विकल्प चुन सकता है। वोटिंग मशीन में नोटा का विकल्प का बटन जोड़ा गया। नोटा का विकल्प लागू करने वाला भारत विश्व का 14वां देश था। जबकि रूस ने 2006 में इस विकल्प को हटा दिया है।
2014 के लोकसभा चुनाव में नोटा के विकल्प की सुविधा मतदाताओं को चुनाव आयोग ने उपलब्ध कराई थी। प्रदेश में 2014 के चुनाव में 3 लाख 91 हजार 771 मत नोटा को प्राप्त हुए थे, जो राज्य में कुल वैध मतों का 0.81 प्रतिशत था, जबकि 2019 में 3 लाख 40 हजार 984 मत नोटा को मिले जो 0.66 प्रतिशत था। जाहिर है 2014 के मुकाबले प्रदेश में नोटा का प्रयोग कम हुआ था। इसी तरह प्रदेश विधानसभा चुनाव 2013 में नोटा में 1.90, 2018 में 1.42 और 2023 के चुनाव में 0.98 प्रतिशत मत नोटा को दिए गए थे। इन आंकड़ों से जाहिर होता है नोटा को वोट देने वाले मतदाताओं का प्रतिशत लगातार कम होता जा रहा है।
पिछले साल प्रदेश विधानसभा के चुनाव में हरदा विधानसभा से भाजपा उम्मीदवार 870 मतों से पराजित हो गए, जबकि नोटा में 2357 मत डाले गए थे इसी तरह टिमरनी मे भाजपा उम्मीदवार 950 मतों से हारे है तो नोटा को 2561 मत प्राप्त हुए हैं। जाहिर है नोटा ने चुनाव परिणाम को पलट दिया था।
2019 में प्रदेश में नोटा का सबसे कम उपयोग करने वाले संसदीय क्षेत्र मुरैना, सतना, रीवा, इंदौर और बालाघाट थे। इस तरह 2014 में नोटा का कम प्रयोग करने वाले क्षेत्र ग्वालियर, मुरैना, भोपाल, इंदौर और भिंड थे। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में मुरैना और इंदौर में नोटा का प्रयोग कम हुआ।
2019 के लोकसभा चुनाव में देश में नोटा को मतदाताओं ने 65 लाख 22 हजार 772 मत दिए थे, जो देश में डाले गए कुल वैध मतों का 1.06 प्रतिशत थे। देश में नोटा का प्रयोग करने में बिहार अग्रणी था। बिहार में 8 लाख 16 हजार 950 मतदाताओं ने नोटा में वोट दिया था। 2014 के लोकसभा के मुकाबले प्रदेश और देश में नोटा ने कम मत प्राप्त किए हैं, इससे स्पष्ट होता है कि मतदाता पसंद के उम्मीदवार को मत देना पसंद कर रहा है। वैसे वह कहीं भी मत दे पर अपने मत का उपयोग करना चाहिए। मतदान करना हमारा मौलिक अधिकार है।
लोकसभा चुनाव में नोटा में डाले गए मतों का विवरण
क्रमांक | चुनाव वर्ष | सामान्य सीट- 19 | अजा ,सीट -4 | अजजा सीट -6 | योग | प्रदेश में प्रतिशत |
1 | 2014 | 209254 | 38167 | 144350 | 391771 | 0.81 |
2 | 2019 | 159687 | 34460 | 146837 | 340984 | 0.66 |
2019 – लोकसभा में सर्वाधिक नोटा का प्रयोग
क्षेत्र | मत | वैध मत प्रतिशत |
रतलाम | 35431 | 1.91 |
मंडला | 32240 | 1.65 |
छिंदवाड़ा | 20324 | 1.34 |
बैतूल | 22787 | 1.31 |
शहडोल | 20027 | 1.21 |
2014 – लोकसभा में सर्वाधिक नोटा का प्रयोग
क्षेत्र | मत | वैध मत प्रतिशत |
छिंदवाड़ा | 25499 | 1.82 |
रतलाम | 30364 | 1.78 |
बैतूल | 26726 | 1.66 |
मंडला | 28306 | 1.55 |
शहडोल | 21376 | 1.37 |