
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से लाई गई बाघिन कजरी ने अब नौरादेही वाइल्डलाइफ सेंचुरी से निकलकर दमोह पहुंच गी है। उसने तेजगढ़ में सक्रियता बढ़ाई और बैल का शिकार किया है। वन विभाग की टीम मुस्तैद है।
रानी दुर्गावती टाईगर रिजर्व के नौरादेही अभयारण्य की बाघिन कजरी लगातार दमोह जिले की ओर बढ़ रही है। तेंदूखेड़ा और झलौन होते हुए शुक्रवार को दमोह के समीप तेजगढ़ तक पहुंच गई है। एक बैल का शिकार भी किया है। बाघिन की खोज में वनकर्मी भी लगे हैं। कॉलर आईडी से लगातार उसकी लोकेशन ले रहे हैं। इसके अलावा जहां बाघ पहुंच गया है, वहां के लोगों को वन विभाग ने सतर्कता बरतने को कहा है। यह बाघिन एक बाघ के साथ बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से लाई गई थी। शिफ्टिंग के तत्काल बाद ही वह टाइगर रिजर्व की सीमा से बाहर भटकने लगी थी।
तेजगढ़ के जंगल पहुंची कजरी
तेंदूखेड़ा, झलोन के जंगलों में तीन दिन रूकने के बाद नौरादेही की बाघिन कजरी शुक्रवार को तेजगढ़ वन परिक्षेत्र की सीमा में पहुंच गई है। गुरुवार रात नौ बजे कजरी ने झलोन मुख्य मार्ग पार किया और डुकरसता के बाद गुबरा के जंगलों में कजरी ने एक बैल का शिकार करने के बाद सुबह पांच से छह बजे तेजगढ़ के जंगली क्षेत्र पहुंच गई है। तेजगढ़ रेंजर नीरज पांडे अपने स्टाफ के साथ निगरानी कर रहे हैं। जिन गांव से लगे जंगल में कजरी रुकी है, वहां के लोगों को बाघिन के मूवमेंट की जानकारी दी गई है। पांडे ने बताया कि गुरुवार रात को ही बाघिन के तेजगढ़ वन परिक्षेत्र की सीमा मे प्रवेश करने की सूचना मिल गई थी।
तेंदूखेड़ा में इन जंगली जानवरों का बसेरा
तेंदूखेड़ा वन परिक्षेत्र में बगदरी सर्किल, सैलवाडा सर्किल और तेंदूखेड़ा सर्किल में जगली जानवरों की भरमार है। इमलीडोल में कई वर्षो से भालू परिवार के साथ रह रहा है। उनकी संख्या 20 से अधिक होगी। बगदरी सर्किल में रोज, चीतल, बंदर, सियार बड़ी तादाद में है। सैलवाडा सर्किल में नीलगाय अधिक है। तेंदुआ भी अपने परिवार के साथ रहवास बनाए हुए है। तेंदूखेड़ा रेंजर मेघा पटेल ने बताया कि जबलपुर मार्ग पर तेंदुआ का बसेरा है। दमोह वनमंडल अधिकारी एमएस उईके के निर्देश पर जगह-जगह सूचना बोर्ड लगवाए गए हैं।