
दमोह में ब्रिटिश कालीन वरांडा गिर गया। गनीमत रही कि रात को हादसा हुआ और कोई हताहत नहीं हुआ। सोमवार को पंचायत मंत्री प्रहलाद पटेल ने भी दमोह पहुंचकर वरांडा गिरने के बारे में जानकारी ली।
दमोह शहर के घंटाघर के पास ब्रिटिश कालीन वरांडा गिरने के बाद दर्जनों लोग बेरोजगार हो गए हैं। इसी वरांडा के नीचे वह अपना कारोबार करते थे। अब वरांडा ही जमींदोज हो गया है और इसके नव-निर्माण में काफी समय लग जाएगा। तब तक यह दर्जनों लोग बेरोजगारी की मार झेलेंगे।
शहर के गांधी चौक के समीप 1866 में ब्रिटिश काल में तीन वरांडों का निर्माण किया गया था। इसे हाकगंज वरांडा के नाम से पूरा जिला जानता है। इस प्राचीन धरोहर के पास एक व्यापारी ने अपने शॉपिंग मॉल निर्माण के बेसमेंट की खुदाई करवाई तो वरांडा की नींव कमजोर हो गई। शनिवार रात वह जमीदोज हो गया। गनीमत रही कि हादसा रात करीब 10 बजे हुआ। यदि एक या दो घंटे पहले यह वरांडा गिरता तो कई लोगों की जान जा सकती थी। जैसे ही वरांडा गिरा, हड़कंप की स्थिति बन गई। जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन और एसडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंची। रेस्क्यू ऑपरेशन कर मलबे में दबे पोकलेन मशीन के चालक और परिचालक को गंभीर हालत में इलाज के लिए जिला अस्पताल भर्ती कराया गया। कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर मौके पर पहुंचे। पूरे मामले की जांच के निर्देश दिए। 48 घंटे में यह जांच पूरी होनी है। मंगलवार शाम तक इस जांच का प्रतिवेदन प्रशासन के अधिकारियों को कलेक्टर को देना है। कलेक्टर ने यह भी स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि इस प्राचीन धरोहर का निर्माण सोमवार से पुनः कराया जाएगा और जिस शॉपिंग मॉल निर्माण कार्य के चलते यह बरांडा धराशायी हुआ है, उस निर्माण को भी अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है।
एक ओर प्राचीन वरांडा गिरने के साथ ही लोगों को अपनी प्राचीन धरोहर खोने का दुख है तो वहीं दर्जनों छोटे-छोटे दुकानदार आज सड़क पर आ गए हैं। इसी वरांडा के दोनों और एक दर्जन से अधिक छोटी-छोटी दुकान पिछले कई वर्षों से लगती आ रही थी। प्रतिदिन लोग यहां खरीदी करते थे। वरांडा गिरने के बाद प्रशासन ने चारों ओर बेरिकेडिंग कर दी है। यहां एक भी दुकान दिखाई नहीं देती। सोमवार को पंचायत मंत्री प्रहलाद पटेल भी दमोह पहुंचे थे। उन्होंने वरांडा गिरने के मामले में जानकारी लेकर जांच के बाद दोषियों पर सख्त कार्रवाई करने की बात कही है।