
आरएमओ ने कहा कि प्रसूता महिलाओं और पांच साल तक के बच्चे को घर ले जाने के लिए सरकारी एंबुलेंस देने की व्यवस्था है। ऐसा कोई नियम नहीं है कि मरीज को उसके घर छोड़ने के लिए शासकीय वाहन उपलब्ध कराया जाए।
दमोह जिला अस्पताल में व्यवस्थाएं वेंटिलेटर पर हैं। मंगलवार को एक वीडियो सामने आया है। इसमें एक बुजुर्ग को एंबुलेंस की जरूरत थी, लेकिन उसके परिजन मालवाहक पर अनाज की बोरियों पर लिटाकर घर ले जा रहे हैं। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि केवल गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए ही एंबुलेंस उपलब्ध होती है।
बताया जा रहा है कि एक बुजुर्ग का पैर टूट जाने पर उसे जिला अस्पताल के ट्रॉमा वार्ड में भर्ती कराया गया था। सोमवार को बुजुर्ग की छुट्टी हो गई। परिजन जिला अस्पताल पहुंचे। तब घर ले जाने उनके पास कोई साधन नहीं था। गांव की ओर जाने वाले एक माल वाहक ऑटो को लेकर वे अस्पताल पहुंचे। उस पर अनाज की बोरियां रखी हुई थी। उसी पर बुजुर्ग को भरी दुपहरी में लिटाया गया। इसके बाद सिर के नीचे एक गद्दी रखी गई और परिजन ऊपर से चादर बांधकर उन्हें घर ले गए।
पूरा घटनाक्रम जिला अस्पताल के गेट पर चल रहा था। कुछ लोगों ने इसका वीडियो बना लिया जिसे सोशल मीडिया पर वायरल किया गया है। बुजुर्ग कौन था, इसकी जानकारी नहीं मिल पाई। इस मामले में जिला अस्पताल के आरएमओ डॉक्टर विशाल शुक्ला ने बताया कि प्रसूता महिलाओँ और पांच साल तक के बच्चे को घर छोड़ने के लिए सरकारी एंबुलेंस की व्यवस्था की जाती है। ऐसा कोई भी नियम नहीं है कि मरीज को उसके घर छोड़ने के लिए शासकीय वाहन उपलब्ध कराया जाए। दूसरी बात यह है कि किसी भी मरीज के परिजन ने घर छोड़ने के लिए एंबुलेंस के संबंध में कोई बात भी अस्पताल प्रबंधन से नहीं की।