
इंदिरा कॉलोनी की रचना सेन ने बताया कि वह अपनी नंद के साथ पति खुशीराम सेन से मिलने आई है। जैसे ही बहन ने भाई को राखी बांधी तो वह रो पड़ा और बहन के पैर छूकर संकल्प लिया कि वह भविष्य में ऐसा कोई काम नहीं करेगा कि उसकी बहन को जेल में राखी बांधने आना पड़े।
दमोह जिला जेल में रक्षाबंधन के मौके पर बहनों ने अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधी। इस अवसर पर बहनों की आंखों में आंसू थे। वहीं, जब जेल में बंद पिता ने लंबे समय बाद अपने बच्चों को देखा तो उनकी भी आंखों से आंसू छलक आए, जिससे उन्हें एहसास हुआ कि परिवार की महत्व क्या होता।
दरअसल, रक्षाबंधन पर जिला जेल दमोह और उप जेल हटा में जेल प्रशासन ने आवश्यक व्यवस्थाएं की थीं। सुबह आठ बजे से मुलाकात का क्रम शुरू होना था, लेकिन व्यवस्थाओं में समय लगने के कारण बहनें साढ़े नौ बजे से भाइयों को राखी बांधने पहुंची। इस दौरान भाइयों को देखत की उनकी आंखों से आंसू बहने लगते हैं। बहनों ने भाइयों को गले लगाकर वादा किया कि वे भविष्य में ऐसा कोई काम नहीं करेंगे कि उन्हें राखी बांधने जेल आना पड़े। वहीं, जब इन भाइयों ने अपने बच्चों को देखा तो उन्हें सीने से लगा लिया और दुलार किया। पिता के इस प्यार को देख बच्चे भी पिता के सीने से लिपट गए।
इंदिरा कॉलोनी की रचना सेन ने बताया कि वह अपनी नंद के साथ पति खुशीराम सेन से मिलने आई है। जैसे ही बहन ने भाई को राखी बांधी तो वह रो पड़ा और बहन के पैर छूकर संकल्प लिया कि वह भविष्य में ऐसा कोई काम नहीं करेगा कि उसकी बहन को जेल में राखी बांधने आना पड़े।
जेल उप अधीक्षक सीएल प्रजापति ने बताया कि कैदी भाइयों की पांच बहनों को जेल में प्रवेश के लिए अनुमति दी गई है। पांच महिलाएं अंदर जाकर विचारधीन और सजा काट रहे कैदियों से मुलाकात कर एक रुमाल, राखी, ढाई सौ ग्राम मिठाई और कुमकुम लगाकर रक्षाबंधन का पर्व मना रही हैं। का सिलसिला सुबह साढ़े नो बजे से शुरू हुआ है, जो तीन बजे तक जारी रहेगा। बता दें कि वर्तमान में दमोह जिला जेल में 271 पुरुष और 12 महिलाएं बंदी है। जिसमें विचारधीन 215 व एक महिला और सजायाफता 67 बंदी शामिल हैं।