
तकिये की खासियत और फायदे यह हैं कि हल्दी के पत्तों से बनाया गया है। तकिया एंटीबायोटिक गुणों से भरपूर होता है इसमे मंद एसेंशियल ख़ुशबू भी होती है जो नींद को और भी अच्छा बना देती है।
मध्यप्रदेश के सागर के किसान का आइडिया इन दिनों खूब चर्चा में है। उन्होंने हल्दी के पौधे के वेस्ट का अनोखा उपयोग किया है, जो कमाई के साथ शारीरिक फायदे का भी सौदा साबित हो रहा है।
बता दें कि सागर ऑर्गनिक खेती करने वाले किसान आकाश चौरसिया ने हल्दी के पौधे के वेस्ट कचरे से तकिया बनाया है, जो काफी लाभदायक तकिया है। तकिये की खासियत और फायदे यह हैं कि हल्दी के पत्तों से बनाया गया है। तकिया एंटीबायोटिक गुणों से भरपूर होता है इसमे मंद एसेंशियल ख़ुशबू भी होती है जो नींद को और भी अच्छा बना देती है। साथ ही एंटीबायोटिक गुण होने के कारण त्वचा संबंधित रोगों में लाभ होता है और यह आपको बेक्टीरिया-वायरस जैसी समस्याओं से भी दूर रखता है। इसको बनाने में बहुत कम खर्च आता हैं।
किसान आकाश चौरसिया ने बताया कि इसको बहुत कम खर्च में बनाया है। जिससे सभी वर्ग के लोग ले सकें। इसको बनाने के लिए ग्रामीण महिलाओं को रोजगार देते हुए बनाया जा सकता है। एक एकड़ के पत्तों से लगभग 200 तकिए आराम से बनते हैं जो कमाई के रूप में लगभग एक लाख रुपये के होते हैं। सभी खर्चों को निकाल दें तो 60 हजार रुपये का मुनाफा प्रति एकड़ किसान को होगा। इस तरह किसान अपने फसल वेस्ट से बेस्ट उत्पाद बनाकर लाभ ले सकता है। साथ ही समाज की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का समाधान कर आत्म निर्भरता की तरफ़ आगे जा सकता है। किसान जो भी फसल उगाते हैं उसके फल को ही आय का साधन मानते हैं, जबकि ऐसा नहीं है। फसल के हर प्रकार से उपयोग किया जा सकता है और उससे आय को बढ़ाया जा सकता है।
इन तरह से तैयार किया हल्दी के पौधे के पत्तों से तकिया
किसान आकाश ने बताया कि हल्दी के पत्तों को छाया में सुखाया जाता है। 20 प्रतिशत रूई के साथ या 100 प्रतिशत नरमी पत्तियों को 1.5 फीट के सूती कपड़े के खोल में भर देते हैं और उसकी सिलाई कर देते हैं। फिर एक और खोल उसके ऊपर चढ़ा दी जाती है। इसी तरह रजाई और गद्दा भी बना सकते हैं, उसे 2 इंच वाई 2.5 इंच के गेप से सिलाई करके बनाया जाता है। पत्तियों को लेते समय ध्यान रखना होता है कि पत्तियों में नमी ना हो और 100 प्रतिशत सुखी भी ना हो। पत्ती में लगभग 2 से 5 प्रतिशत नमी होना चाहिए और पत्ती का केवल सॉफ्ट पार्ट ही होना चाहिए। तकिये के खोल में पत्तियां भरते समय मौसम में नमी नहीं होना चाहिए। पत्तियां मल्टीलेयर कृषि तकनीक में उगाई गई हल्दी की होगी तो काफ़ी अच्छा होगा। क्योंकि इसकी पत्तियों में एसेंस ज़्यादा होता है। पत्तियां भरते समय खोल में किसी तरह का गेप नहीं होना चाहिए।