
MP News: विख्यात जैन संत आचार्य श्री विद्यासागर महाराज का डोंगरगढ़ में समाधि शरण हो गया, जिसके बाद पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई। आचार्यश्री के लाखों भक्त हैं और देश कई ऐसे प्रमुख जैन तीर्थ स्थान है, जहां से उनका विशेष लगाव रहा है, लेकिन दमोह जिले के कुंडलपुर मंदिर से आचार्यश्री का काफी लगाव था।
जैन धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक कुंडलपुर मंदिर आचार्य विद्यासागर महाराज के प्रिय स्थान में से एक था, जहां पर बड़े बाबा विराजमान है। यहां पर आचार्य श्री कई बार लंबे समय तक रुके हैं। दो साल पहले फरवरी 2022 में यहां पर गजरथ महोत्सव का आयोजन हुआ था। उस समय भी आचार्य श्री विद्यासागर महाराज यहां पर लंबे समय तक रुके थे और देश भर से उनके लाखों शिष्य यहां पर पहुंचे थे।
यह अनुष्ठान विश्वभर में पहचान बना चुका है और कुंडलपुर का बड़े बाबा मंदिर आचार्यश्री विद्यासागर महाराज के ही निर्देशन में बना है। 2022 में कुंडलपुर महामहोत्सव का आयोजन किया गया था। इस एतिहासिक कार्यक्रम को आचार्यश्री की मौजूदगी में संपन्न किया गया था। दो वर्ष पहले आचार्यश्री के पावन कदम दमोह की धरा पर थे, इसके बाद उनका विहार छत्तीसगढ़ की ओर हुआ था। इस महामहोत्सव में आचार्य संघ के सभी मुनि, ऐलक, क्षुल्लक, आर्यिकाएं शामिल हुईं थीं। ऐसा दृश्य पहली बार देखने मिला था।
पालकी से हुए थे रवाना
कुंडलपुर से विहार करते समय आचार्य श्री का स्वास्थ्य बिगड़ गया था और उन्हें कुंडलपुर से पालकी में बैठकर रवाना होना पड़ा था। हालांकि उनका बिहार लगातार चलता रहा और धीरे-धीरे वह स्वस्थ भी हो गए, लेकिन एक बार फिर वह अस्वस्थ हुए और अब समाधि में लीन हो चुके हैं।
दमोह में जैन समाज के प्रतिष्ठान बंद
आचार्यश्री के समाधि शरण की खबर फैलते ही पूरे देश में शोक छा गया। दमोह में जैन समाज के लोगों ने अपने प्रतिष्ठान बंद रखे हैं और शाम को विन्यानजली कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है।
कुंडलपुर कमेटी भी डोंगरगढ़ रवाना
आचार्य श्री के समाधि की सूचना मिलते ही कुंडलपुर ट्रस्ट समिति से जुड़े सभी पदाधिकारी छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ लिए रवाना हो गए हैं। हर धर्म से जुड़े लोग आचार्य श्री के प्रति अपनी अटूट आस्था रखते हैं और इस समय सोशल मीडिया पर उनके समाधि शरण होने पर लोग अपना दुख व्यक्त कर रहे हैं।
मत करो किसी से बैर, अपना प्रवास पूरा करो
आचार्य श्री विद्यासागर महाराज वैसे तो हमेशा ही लोगों में मानवता, धर्म, प्रेम के उपदेश देते रहे हैं, लेकिन कुछ उपदेश उनके हमेशा लोगों के बीच एक अलग ही महत्व बनाए हुए हैं। उनमें से एक उनके उपदेश था जिसमें वह कहते थे- किसी से मत कइयो, जो होना है वही होना है। जितना हुआ अच्छा हुआ, कर्म के अनुसार हुआ। यह भी ऐसा ही होगा, इसलिए किसी के साथ बैर, किसी के साथ ऋण आदि मत रखो और जो अपना प्रवास है उसको पूर्ण करो।