
कोई एक संप्रदाय मात्र अपने ग्रंथ के आधार पर विश्व शांति स्थापित नहीं कर सकता और सनातन धर्म एक ऐसा विशाल दर्शन है, जिसमें समस्त विश्व के संप्रदायों की जड़ है। अतः विश्व शांति का विचार ऐसे ही श्रेष्ठतम तरीके से क्रियान्वित हो सकेगा।
कुछ ऐसे ही विचार दक्षिण कोरिया में आयोजित पारंपरिक नव वर्ष समारोह में अतिथि के रूप में स्वामी शैलेशानंद गिरी, महामंडलेश्वर, श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा की उपस्थिति और उद्बोधन ने उपस्थित जन मानस के बीच कहे थे और जनमानस का दिल जीत लिया था।
लगभग 20 वर्षों से विश्व मे कर्तव्य क्रांति अभियान और अवसाद के खिलाफ अभियान चला रहे श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी शैलेशानंद गिरी जी अनेकानेक देशों में प्रत्येक वर्ष सर्वधर्म प्रार्थना सभा मे शामिल होकर अपने विचारों के माध्यम से देश का नाम विदेश में भी गौरवान्वित करते रहते हैं।
इस वर्ष आप दक्षिण कोरिया में नव वर्ष पर आयोजित यूरियान ऑर्डर ऑफ बुद्धिज्म के दाएजून नामक शहर के मठ में सर्वधर्म प्रार्थना सभा में मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित किए गए थे। जहां पर उन्होंने 60 से अधिक देशों के भिन्न-भिन्न धर्मावलंबियों के साथ भागीदारी की।
यहां मुख्य वक्ता के रूप में स्वामी शैलेशानंद जी ने कहा कि भारत एक मात्र सनातन धर्म का देश है, जिसने कभी भी धर्म संप्रदाय के आधार पर किसी देश पर आक्रमण या भू भाग पर कब्जा नहीं किया है। साथ ही इसकी व्यापकता विश्व के एक मात्र धर्म के रूप में है, जिसके उप शास्त्रों से अनेकानेक धर्म निकले हैं। आने वाली पीढ़ियों को विश्व शांति का पाठ अभी से पढ़ाना आवश्यक और युद्ध हथियारों पर सामूहिक प्रतिबंध लगाना आवश्यक है।
सर्वधर्म प्रार्थना सभा के दौरान श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी शैलेशानंद गिरी जी ने सभी धर्मावलंबियों को “जय श्री महाकाल” का उच्चारण करना सिखाया। जिसे कई लोगों ने सिखा भी सही और स्वामी शैलेशानंद महाराज के सामने कहकर भी बताया।




