
बागेश्वर धाम के पुण्य महामहोत्सव में अपने-अपने राम पर हो रहे व्याख्यान में डॉ. विश्वास ने कहा कि मन की चेतना और सांसारिक चेतना में अंतर है। जो राम की कथा सुनते हैं वे वरदानी हो जाते हैं।
बागेश्वर धाम के सांस्कृतिक मंच से धर्म की गंगा बह रही है। आयोजन के दूसरे दिन युग वक्ता डॉ. कुमार विश्वास ने रामकथा सुनाई। ‘अपने-अपने राम की चर्चा’ में विश्वास ने कहा कि जिन्होंने जंगल में मनुष्यता के भाव का दर्शन कराया वही हम सबके आराध्य भगवान श्रीराम हैं। जगत पिता भगवान राम ने हम सबको दृष्टि दी है वे ही संसार के दृष्टा हैं। पूरी दुनिया भगवान के नाखून के धूल के कण से भी छोटी है।
बागेश्वर धाम के पुण्य महामहोत्सव में अपने-अपने राम पर हो रहे व्याख्यान में डॉ. विश्वास ने कहा कि मन की चेतना और सांसारिक चेतना में अंतर है। जो राम की कथा सुनते हैं वे वरदानी हो जाते हैं। एक प्रसंग सुनाते हुए कहा कि भगवान राम ने समुद्र बांधने के लिए एक पत्थर छोड़ा, लेकिन वह डूब गया, तब हनुमान जी ने कहा कि भगवन जिसे आप छोड़ देंगे वह संसार में कैसे उबर पाएगा। जो भाई की बात पर हमेशा हां कहता है वही घर राममय होता है जो संपत्ति को न देने की भावना बनाता है उसके घर में कलेश होते हैं। उन्होंने कहा कि शास्त्र का घरों में पठन-पाठन घट रहा है इसका परिणाम है कि व्यवस्थाएं बदल रही हैं। ईश्वर के आशीर्वाद से कृतज्ञता आती है। व्याख्यान के दौरान विधायक बबलू शुक्ला, पूर्व विधायक आलोक चतुर्वेदी पज्जन, नीरज दीक्षित, दमोह के पूर्व विधायक अजय टंडन, जगदीश शुक्ला सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।
व्याख्यान में माता की गाथा सुनाकर भावुक हुए डॉ. विश्वास
व्याख्यान के दौरान डॉ. कुमार विश्वास उस वक्त भावुक हो गए जब वे माता कौशल्या, कैकई और सुमित्रा की गाथा सुना रहे थे। उन्होंने कहा कि जब लक्ष्मण जी ने माता सुमित्रा से भाई के साथ वन जाने की आज्ञा ली तो मां सुमित्रा ने कहा कि तुम्हारे माता-पिता राम और सीता हैं जहां वे रहेंगे वहीं तुम्हारा अवध धाम है। ऐसी ही करुण गाथा माता कौशल्या की सुनाई।
जो जीवन में शेष है उसे विशेष बनाएं : धीरेंद्र शास्त्री
कथा के प्रारंभ में बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पं. धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि यह जीवन ईश्वर ने भक्ति के लिए दिया है। उन्होंने कहा कि हमारा जो जीवन शेष है उसे जनकल्याण में लगाकर विशेष बनाएं। उन्होंने चरण पादुका सिंहपुर को याद करते हुए कहा कि जिन वीर सपूतों ने संस्कृति बचाने के लिए सीने में गोलियां खाईं उनके चरित्र जीवन में उतारें।
शहीद स्थल से बागेश्वर धाम आया कलश
बागेश्वर धाम के महाकुंभ में 108 कुण्डीय श्री अतिविष्णु यज्ञ भी आयोजित किया जा रहा है। शहीदों के लिए यज्ञ करने वाले परमपूज्य बालक योगेश्वरदास महाराज ने इस यज्ञ को भी शहीदों को समर्पित किया है। बुन्देलखंड का जलियांवाला बाग कहे जाने वाले चरण पादुका से कलश में जल भरकर बागेश्वर धाम लाया गया है। इसके पूर्व शहीद स्मारक में उपस्थित लोगों ने पुष्पांजलि अर्पित करते हुए बलिदानियों को याद किया। इस कलश यात्रा में परमपूज्य बालक योगेश्वर दास जी महाराज के अलावा विधानसभा सचिव अवधेश प्रताप सिंह, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी संगठन के शंकर सोनी, महेश द्विवेदी के अलावा अमित सोनी, जीतेन्द्र घोष, उपेन्द्र प्रताप सिंह लकी, नेहरू युवा केन्द्र के सदस्य व ब्रहकुमारी आश्रम के सदस्य शामिल हुए। कलश को एक शोभायात्रा के साथ बागेश्वर धाम लाया गया और बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पं. धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री को सौंपा गया। यह कलश यज्ञ स्थल में स्थापित होगा। बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर महाराजश्री ने कहा कि जिन्होंने देश की शान के लिए अपनी जान न्यौछावर की वे हमेशा अविस्मरणीय रहेंगे।
