
1957 में नए मध्य प्रदेश में हुए चुनाव में निरस्त मतों की संख्या 2 लाख 48 हजार 338 थी, जो प्रदेश में डाले गए कुल मतों की संख्या की 4.86 प्रतिशत थी। 1962, 1967 और 1971 के चुनाव में निरस्त मतों का प्रतिशत बढ़ता ही चला गया था।
आजादी के वक्त देश में साक्षरता बहुत ही कम थी। शिक्षा का प्रसार नहीं के बराबर था। पहले चुनाव में मतदान होने के पहले मतदाताओं को प्रचार माध्यमों से यह समझाया गया था कि वोट कैसे दिया जाए। मतदाताओं को वोट देने के लिए अलग-अलग राजनीतिक दलों की मतपेटियों पर उनके चुनाव चिन्ह अंकित किए गए ताकि वोट देने में परेशानी नहीं हो। महिला मतदाताओं के लिए अलग मतदान कक्ष बनाए गए थे, ताकि सामाजिक बंधन व पर्दा प्रथा के कारण महिला मतदाता वोट देने आने में संकोच न करें और उन्हें आजादी रहे। इसके बाद भी कुल मतों में निरस्त मतों की संख्या बहुत ज्यादा रहती थी। देश में साक्षरता बढ़ने और 1998 से ईवीएम से चुनाव शुरू होने से निरस्त मतों की संख्या लगातार कम होती चली गई।
जानकारी के अभाव में और मतदान के लिए मतदाता को समझाने के बाद भी गलत स्थान पर ठप्पा लगा देने से वह मत निरस्त माना जाता था। 1957 में नए मध्य प्रदेश में हुए चुनाव में निरस्त मतों की संख्या 2 लाख 48 हजार 338 थी, जो प्रदेश में डाले गए कुल मतों की संख्या की 4.86 प्रतिशत थी। 1962, 1967 और 1971 के चुनाव में निरस्त मतों का प्रतिशत बढ़ता ही चला गया था। निरस्त मत होने से उम्मीदवार और सरकारी व्यय व्यर्थ जाता है। 1989 में प्रदेश में निरस्त मतों की संख्या 6 लाख 93 हजार 843 थी, जो अभी तक संपन्न हुए चुनावों में सर्वाधिक थी। सबसे कम निरस्त मतों की संख्या वर्ष 2009 के चुनाव में 4023 रही थी।
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) आने के बाद मतदाताओं को सिर्फ बटन ही दबाना होता है, इससे निरस्त मतों की संख्या में काफी कमी आई। देश में वोटिंग मशीन से चुनाव करवाने के लिए 1951 के जनप्रतिनिधित्व कानून में संशोधन कर ईवीएम से मतदान का कानून 1989 में जोड़ा गया था। 1998 में मध्य प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली में ईवीएम से चुनाव हुए थे। 2004 में देश में अधिकतर लोकसभा सीटों पर वोटिंग मशीन का उपयोग हुआ था। ईवीएम का इस्तेमाल निरस्त मतों को रोकने में काफी कामयाब रहा। वैसे तो वोटिंग मशीन से कई लाभ हैं, परंतु पिछले कुछ चुनावों में जब से इनका उपयोग हुआ है, इसकी आलोचना होती रही है। जो भी हो पर निरस्त मतों के कम होने का सबसे बड़ा लाभ उम्मीदवारों को ही हुआ है।
मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनावों में निरस्त वोट
चुनाव वर्ष | निरस्त वोट संख्या | कुल मतों में निरस्त मतों का प्रतिशत |
1957 | 248338 | 4.86 |
1962 | 404524 | 5.69 |
1967 | 577970 | 5.89 |
1971 | 566143 | 6.02 |
1977 | 700296 | 5.6 |
1980 | 452850 | 3.47 |
1984 | 600344 | 3.71 |
1989 | 693843 | 3.41 |
1991 | 345978 | 2.07 |
1996 | 820541 | 3.46 |
1998 | 606377 | 2.2 |
1999 | 383794 | 1.49 |
2004 | 4211 | 0.03 |
2009 | 4023 | 0.02 |
2014 | 4846 | 0.02 |
2019 | 17723 | 0.05 |
(2004 से निरस्त मतों में ईवीएम से प्राप्त नहीं होने वाले मत भी शामिल हैं।)