
खजुराहो सीट पर जो हुआ, वह पहले भी मध्य प्रदेश में हो चुका है। 2009 में पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज ने विदिशा से लोकसभा चुनाव लड़ा था। तब कांग्रेस प्रत्याशी राजकुमार पटेल का नामांकन निरस्त हो गया था।
मध्य प्रदेश की खजुराहो लोकसभा सीट पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और प्रत्याशी वीडी शर्मा को एक तरह से वॉकओवर ही मिल गया है। उनके सामने न तो कांग्रेस का उम्मीदवार है और न ही इंडिया गठबंधन का कोई उम्मीदवार है। कांग्रेस ने यह सीट सपा के लिए छोड़ी थी। सपा प्रत्याशी मीरा यादव का नामांकन शुक्रवार को स्क्रूटनी के दौरान निरस्त हो गया है। इससे पहले भी मध्य प्रदेश में ऐसा हो चुका है। 2009 में पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज के सामने उतारे गए कांग्रेस उम्मीदवार राजकुमार पटेल का नामांकन रद्द हो गया था।
बात 2009 लोकसभा चुनावों की है। भाजपा ने सुषमा स्वराज को मध्य प्रदेश की विदिशा संसदीय सीट के लिए प्रत्याशी बनाया था। विदिशा सीट भाजपा का गढ़ रही है और इस सीट पर अटल बिहारी वाजपेयी, विजयाराजे सिंधिया और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जैसे नेताओं ने जीत हासिल की है। यह देखते हुए सोचा गया कि सुषमा को सुरक्षित सीट से चुनाव लड़ाया जाए ताकि प्रचार में उनका भरपूर इस्तेमाल किया जा सके।
कांग्रेस ने सुषमा को घेरने के लिए बुदनी से पूर्व विधायक और दिग्विजय सिंह की कैबिनेट में मंत्री रहे कांग्रेस नेता राजकुमार पटेल को उतारा। राजकुमार पटेल नामांकन के साथ आवश्यक बी-फॉर्म जमा नहीं कर सके। इस आधार पर उनका नामांकन निरस्त हो गया। नामांकन दाखिल करने का समय जा चुका था। इससे कांग्रेस का कोई भी उम्मीदवार इस सीट पर नहीं था और सुषमा को एक तरह से वॉकओवर ही मिल गया था। ऐसे समय जब कांग्रेस ने जबरदस्त वापसी करते हुए मध्य प्रदेश की 29 में से 12 सीटों पर जीत हासिल की थी, विदिशा सीट मतदान से पहले ही उसके हाथ से खिसक चुकी थी। इस सीट पर जितने वोट पड़े, उसमें से करीब 79% वोट सुषमा के पक्ष में पड़े थे। करीब चार लाख वोट से सुषमा ने जीत हासिल की थी।
कांग्रेस ने इस गड़बड़ी के लिए राजकुमार पटेल को दोषी माना था। उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया था। राजकुमार पटेल इतने आहत हुए थे कि उन्होंने 2014 में सुषमा स्वराज के खिलाफ विदिशा से ही निर्दलीय पर्चा दाखिल कर दिया था। सोनिया गांधी और राहुल गांधी के संदेश आए, तब जाकर उन्होंने पर्चा वापस लिया था। राजकुमार पटेल ने विदिशा में उनके नामांकन निरस्त होने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका भी दाखिल की थी, लेकिन इसका कोई लाभ उन्हें नहीं हुआ। बाद में उनकी पार्टी की सदस्यता बहाल हो गई।