
मध्य प्रदेश लोकसभा चुनाव के परिणाम सामने लगे हैं। प्रदेश की दो दिग्गजों की जीत देश में गूंज रही है। देश की सर्वाधिक मतों से जीतने वाले शंकर लालवानी माने जा रहे हैं। वहीं देश की दूसरी बड़ी जीत शिवराज सिंह चौहान के नाम दर्ज हुई है।
देश की सबसे बड़ी जीत मध्य प्रदेश को मिली है। इंदौर से भाजपा सांसद शंकर लालवानी 1175092 वोटों से जीत हैं तो वहीं पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आठ लाख वोटों से जीतकर दूसरे नंबर पर हैं।
मध्य प्रदेश की औद्योगिक राजधानी ने नोटा में सर्वाधिक वोटों के साथ ही लोकसभा चुनावों के इतिहास में सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड भी बनाया है। भाजपा के शंकर लालवानी ने 11 लाख 75 हजार वोटों से जीत दर्ज की है। ये लोकसभा चुनाव की इतिहास की सबसे बड़ी जीत है। इससे पहले 2019 में गुजरात के नवसारी सीट पर भाजपा के सीआर पाटिल ने 6,89,668 वोटों से जीत कर अब तक की सबसे बड़ी जीत हासिल की थी। बता दें कि इंदौर में नोटा दूसरे नंबर पर मुकाबले में है। लेकिन नियमों के तहत जीत के अंतर में उसे शामिल नहीं किया जाएगा। तीसरे नंबर पर बसपा के संजय सोलंकी रहे।
2019 में यह थी सबसे बड़ी जीत
2019 में गुजरात के नवसारी लोकसभा सीट पर भाजपा के सीआर पाटिल ने 6,89,668 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी। 2019 में ही दूसरी सबसे बड़ी जीत राजस्थान के भीलवाड़ा में भाजपा ने दर्ज की थी। सुभाष बहेड़िया ने 6,12,000 मतों के अंतर से अपने प्रतिद्वंदी को करारी शिकस्त दी थी। इससे पहले लोकसभा चुनावों में सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड माकपा के अनिल बसु के नाम था। उन्होंने 2004 में पश्चिम बंगाल की आरामबाग सीट पर 5,92,502 वोट से जीत हासिल की थी।
2014 में मोदी के नाम बना था रिकॉर्ड
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में गुजरात के वडोदरा से 5,70,128 वोट से जीत हासिल की थी। यह 2014 के चुनावों में सबसे बड़ी जीत थी। 2014 में उन्होंने वडोदरा सीट छोड़ दी थी और सिर्फ वाराणसी सीट अपने पास रखी थी। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी भी 1984 में उत्तर प्रदेश के अमेठी में मेनका गांधी को 3,14,878 वोट से हराकर उस साल के चुनावों में सर्वाधिक वोटों से जीतने वाले प्रत्याशी बने थे।
पासवान के नाम है अनूठा रिकॉर्ड
लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान के नाम एक ऐसा रिकॉर्ड है, जिसकी बराबरी करना किसी भी नेता के लिए मुश्किल है। उन्होंने दो आम चुनावों में सर्वाधिक वोटों से जीत हासिल की थी। पासवान ने 1989 के आम चुनाव में बिहार की हाजीपुर सीट से 5,04,448 वोट से जीत दर्ज की थी। इससे पहले 1977 में उन्होंने भारतीय लोक दल के नेता के तौर पर 4,24,545 वोट से जीत दर्ज की थी। 2009 के लोकसभा चुनाव में नगालैंड पीपुल्स फ्रंट के सीडब्ल्यू चांग ने नगालैंड सीट पर 4,83,021 वोट से जीत हासिल की थी।
न्य चुनावों की बात करें तो 1998 में भाजपा के वल्लभ भाई रामजी भाई कठीरिया ने राजकोट सीट पर 3,54,187 वोट से जीत हासिल की थी। 1999 में कांग्रेस के के. असुंगवा संगताम ने नगालैंड सीट पर 3,53,598 वोट से जीत दर्ज की थी। 1996 के चुनावों में द्रमुक के एनवीएन सोमू ने तमिलनाडू की मद्रास उत्तर सीट पर 3,89,617 वोट से जीत हासिल की थी। 1962 के लोकसभा चुनावों में गायत्री देवी ने 1962 में जयपुर से स्वतंत्र पार्टी की उम्मीदवार के तौर पर 1,57,692 वोट से जीत हासिल की थी। 1980 के आम चुनाव में रीवा सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर महाराज मार्तंड सिंह ने 2,38,351 वोट से जीत हासिल की थी।