
छिंदवाड़ा की अमरवाड़ा विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई। 21 जून तक नामांकन पत्र जमा किए जाएंगे। 10 जुलाई को यहां मतदान होगा। भाजपा ने इस सीट से कमलेश शाह को प्रत्याशी घोषित किया है।
Amarwara Assembly By Election: लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा ने प्रदेश की सभी 29 सीटें जीतकर कांग्रेस का सफाया कर दिया। पूर्व सीएम कमलनाथ और दिग्विजय सिंह जैसे नेता भी अपने गढ़ बचाने में फेल हो गए। इसके बाद से कांग्रेस कार्यकर्ताओं में भारी निराशा है। इसी बीच आज से छिंदवाड़ा जिले की अमरवाड़ा विधानसभा सीट पर उपचुनाव को लेकर नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई।
यह सीट कांग्रेस विधायक कमलेश शाह के इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल होने के बाद खाली हुई थी। चुनाव आयोग के निर्देश पर जिला निर्वाचन अधिकारी ने यहां उपचुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए 14 से 21 जून तक नामांकन पत्र जमा किए जा सकेंगे। 24 को नामांकन पत्रों की जांच होगी और 26 जून तक नाम वापस लिए जा सकेंगे। अमरवाड़ा विधानसभा सीट पर 10 जुलाई को मतदान होगा और 13 जुलाई को परिणाम घोषित किए जाएंगे। भाजपा ने इस सीट से कमलेश शाह को प्रत्याशी घोषित कर दिया है। कांग्रेस की ओर से उम्मीदवार की तलाश की जा रही है।
कमलनाथ के लिए साख का सवाल
मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का गढ़ कहे जाने वाले छिंदवाड़ा की अमरवाड़ा विधानसभा सीट उनके लिए भी साख का सवाल बन गई है। लोकसभा चुनाव में छिंदवाड़ा से भाजपा के विवेक बंटी साहू ने नकुलनाथ को बड़े अंतर से हरा दिया था। 45 साल बाद शाह परिवार को अपने गढ़ में हार मिली है। ऐसे अमरवाड़ा सीट पर हो रहा उपचुनाव जीतना उनके लिए साख का सवाल है। अगर, यह सीट कांग्रेस के खाते में जाती है तो इससे नाथ परिवार और कांग्रेस को ऊर्जा मिलेगी। बीते दिनों छिंदवाड़ा में कांग्रेस पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के साथ बैठक में नकुलनाथ ने इसे लेकर चर्चा भी की थी। उन्होंने पार्टी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से कहा था कि अब हमे अमरवाड़ा जीतने के लिए जुटना है।
हर्रई राजघराने के राजा हैं शाह, सीट पर पुराना कब्जा
पिछले तीन चुनाव से अमरवाड़ा सीट से कमलेश शाह कांग्रेस के टिकट पर जीतकर विधायक बन रहे थे। लेकिन, बीती 29 मार्च को शाह कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए। इसके बाद से साफ हो गया था कि भाजपा उपचुनाव में शाह को ही प्रत्याशी बनाएगी। अमरवाड़ा सीट आदिवासी वर्ग के लिए रिजर्व है। इसे शाह परिवार का गढ़ माना जाता है। कमलेश शाह हर्रई राजघराने के राजा हैं। इस राजघराने का गोंड आदिवासियों में काफी सम्मान है। आज भी इस क्षेत्र के गोंड आदिवासी शाह परिवार के वंशज को अपना राजा मानते हैं। कमलेश शाह के दादा राजा उदयभान शाह और मां रानी शैल कुमारी भी इस सीट से कांग्रेस की विधायक रह चुकी हैं।
कांग्रेस के लिए चेहरे की तलाश मुश्किल
कमलेश शाह कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में से एक रहे हैं। अमरवाड़ा में आदिवासी समाज में उनके जैसा कोई दूसरा नेता नहीं माना जाता है। ऐसे में यहां कांग्रेस के लिए यहां जिताऊ उम्मीदवार की तलाश करना काफी मुश्किल होगा। हालांकि, प्रत्याशी चयन के लिए कांग्रेस ने पूर्व मंत्री सुखदेव पांसे और सुनील जायसवाल को प्रभारी बनाया है। अब देखना यह होगा कि कांग्रेस अपने गढ़ वाली इस सीट पर किसे उम्मीदवार बनाती है। बताया जा रहा है कि तीन-चार दिन में प्रत्याशी के नाम का एलान किया जा सकता है।
भाजपा कांग्रेस को एक और झटका देने की तैयारी में
कांग्रेस अमरवाड़ा सीट पर हर हाल में जीत दर्ज करना चाहती है तो भाजपा कांग्रेस को एक और झटका देने की तैयारी में हैं। आदिवासी बाहुल्य इस सीट पर दोनों ही पार्टियों का फोकस है। हालांकि, भाजपा कई मायनों में आगे दिख रही है। पहला यह कि उसने अपने उम्मीदवार कमलेश शाह के नाम का एलान कर दिया है। दूसरा यह कि हाल ही में भाजपा के विवेक बंटी साहू ने छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर नकुलनाथ को बड़े अंतर से हराया है। ऐसे में माहौल भाजपा के पक्ष में बना हुआ है जिसका फायदा पार्टी को मिल सकत है।
गोंडवाना पार्टी का भी प्रभाव
अमरवाड़ा सीट पर गोंडवाना पार्टी का भी प्रभाव है। लोकसभा चुनाव में पार्टी के प्रत्याशी देव रावेन को यहां काफी बढ़त मिली थी। हालांकि, इस सीट से पार्टी का प्रत्याशी एक बार भी चुनाव जीतकर विधायक नहीं बना है, लेकिन कई बार दूसरे और तीसरे नंबर पर रहा है। अगर, लोकसभा चुनाव की तरह कांग्रेस गोंडवाना पार्टी से गठबंधन करती है तो इसका फायदा उसे मिल सकता है।