
दमोह जिले में डायरिया से तीसरी मौत हो गई। लोगों ने डायरिया फैलने का मुख्य कारण गांव में सप्लाई होने वाली नल जल योजना को बताया है। इसके अलावा कुओं में भी गंदा पानी पहुंचा है।
दमोह जिले के बटियागड़ ब्लॉक में आने वाले हरदुआ जामसा गांव में डायरिया का प्रकोप लगातार जारी है। शुक्रवार को 23 वर्षीय युवक बैजनाथ प्रजापति ने भी जिला अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। वहीं 50 से अधिक ग्रामीण अभी भी पीड़ित हैं। शुक्रवार को कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर भी गांव पहुंचे और स्वास्थ्य विभाग सहित अन्य अधिकारियों से जानकारी ली।
बता दें कि मंगलवार को दूषित पानी पीने के कारण 200 से अधिक ग्रामीण बीमार हुए थे। जिनका इलाज हटा, जिला अस्पताल और बटियागड़ स्वास्थ्य केंद्र में चल रहा था। दो ग्रामीणों की मौत इलाज के दौरान हो गई, लेकिन स्वास्थ्य विभाग डायरिया से मौत की पुष्टि करने तैयार नहीं था और मौत के दूसरे कारण बताए थे। इसके बाद दोनों मृतकों के पोस्टमार्टम कराए गए। वहीं शुक्रवार को तीसरी मौत हो गई।
उल्टी,दस्त की बीमारी फैलने के बाद स्वास्थ्य अमला गांव में डेरा डाले हुए है। मरीजों को प्राथमिक इलाज दिया जा रहा है और गंभीर मरीजों को सामुदायक स्वास्थ्य केन्द्र बटियागड़ रिफर किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग की टीम लगातार लोगों को मेडिकल कैंप में इलाज कराने के लिए मुनादी करा रही है। डायरिया फैलने का कारण गांव में फैली गंदगी बताया जा रहा है। शुक्रवार को हरदुआ जामसा गांव पहुंचे कलेक्टर कोचर ने पूरे गांव का भ्रमण किया और गंदगी होने पर संबंधित विभाग के अधिकारियों को साफ सफाई बनाने के दिए निर्देश दिए।
लोगों ने डायरिया फैलने का मुख्य कारण गांव में सप्लाई होने वाली नल जल योजना को बताया है। इसके अलावा कुओं में भी गंदा पानी पहुंचा है। कलेक्टर ने पीएचई विभाग को जल सप्लाई शुद्ध पानी से करने और पाइप लाइन की खामियां सुधारने के लिए युद्ध स्तर पर कार्य करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा किसी भी पाइप लाइन में गंदा पानी नहीं जाना चाहिए। कलेक्टर ने ग्राम पंचायत को भी निर्देशित किया कि गांव में गंदगी न रहे और जिन लोगों को शौचालय नहीं मिले हैं वो आवेदन करें। जिनके शौचालय बने हैं वे उपयोग करें।
डायरिया से अब तक तीन की मौत
डायरिया से अब तक तीन की मौत हो चुकी है, जिसके बाद ग्रामीण भी दहशत में हैं। जिन लोगों की मौत हुई है उनमें बैजनाथ प्रजापति 23, पार्वती बाई पति हनमत लोधी 39, अजुद्दी पिता सब्भु आदिवासी 80 शामिल हैं। वहीं करीब 50 लोग अभी भी पीड़ित हैं।