
Damoh: दमोह में कांग्रेस की ओर से अभी तक लोकसभा का प्रत्याशी घोषित नहीं किया गया है। आलम तो यह है की नेता दूसरे को मजबूत दावेदार बता रहे हैं और चुनाव लड़ने से पीछे हट रहे हैं। जबकि भाजपा ने सभी 29 सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं, जिसमें दमोह से राहुल सिंह को प्रत्याशी बनाया गया है।
इतिहास में पहली बार कांग्रेस पार्टी ऊहापोह में फंसती नजर आ रही है। एक तरफ पार्टी छोड़ने वालों का तांता और दूसरी तरफ प्रत्याशियों के चयन की दुविधा। दो तरफा उलझे पेंच में कांग्रेस के बड़े नेता खुद तो टिकट से कन्नी काट रहे हैं और दूसरे नेताओं को मजबूत बताते हुए उनके टिकट की पैरवी करते नजर आ रहे हैं।
बड़े नेताओं के इसी रवैया के कारण अभी तक बुंदेलखंड की टीकमगढ़ छोड़ दो लोकसभा सीटों पर कांग्रेस की टिकटों को लेकर संशय बना हुआ है, जबकि खजुराहो सीट कांग्रेस ने सपा के लिए छोड़ दी है। बहरहाल हालात बता रहे हैं कि बुंदेलखंड की शेष दो सीटों पर पसीने छूट रहे हैं। यही कारण है कि सूबे से सभी बड़े नेता एक दूसरे को पावरफुल बता रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी भी अलग-अलग नेताओं से अलग-अलग तरीके से बात करते हुए अपना पल्ला झाड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। वह कभी जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रतनचंद जैन, कभी पूर्व विधायक अजय टंडन, कभी पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष मनु मिश्रा तो कभी जिला पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि गौरव रंजीता पटेल को श्रेष्ठ प्रत्याशी बताते हुए टिकट की पैरवी शुरू कर देते हैं।
जया ठाकुर इच्छुक, पर पति तैयार नहीं
यह भी जानकारी मिली है कि सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता वरुण ठाकुर की पत्नी जया ठाकुर भी दमोह संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ने की इच्छुक हैं और वह पिछले चुनाव से भी लगतार दावेदारी कर रही हैं। इस बार यह उम्मीद भी लग रही है कि हो सकता है जया ठाकुर को टिकट मिल जाए, लेकिन जानकारी लगी है कि उनके पति वरुण ठाकुर इस चुनाव में उन्हें लड़ने से मना कर रहे हैं। यही कारण है कि अभी उनकी स्थिति भी असमंजस में बनी हुई है, कि चुनाव लड़े या ना लड़े। क्योंकि परिस्थिति अनुकूल न होने के कारण भी नेता अपने आप पर दाव लगाने से हट रहे हैं।